हरिद्वार में मरीजों की देखभाल कर रहा आयुर्वेद और आईएमए हड़ताल पर




नवीन चौहान
हरिद्वार के तमाम मरीजों की जिम्मेदारी आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने संभाल ली है। आयुर्वेदिक चिकित्सक फुल फार्म में सक्रियता के साथ अपने प्रतिष्ठानों में मोर्चा संभाले हुए है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील जोशी आयूर्वेदिक चिकित्सकों का मनोबल बढ़ा रहे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सम्मान की लड़ाई में अगुवानी कर रहे है। वही आईएमए के आहृवान पर हरिद्वार के सभी निजी अस्पतालों के डाॅक्टरों ने ओपीडी बंद की हुई है। आईएमए के सचिव व मातृ छाया क्लीनिक रानीपुर के स्वामी डॉ अंजुल श्रीमाली ने ओपीडी बंद रखते हुए इमरजेंसी में मरीजों को देख रहे है। इसके अतिरिक्त उन्होंने तमाम कार्य बंद किए हुए हैं। वही आईएमए के अध्यक्ष डॉ दिनेश सिंह ने नीलकंठ चिकित्सालय के मुख्य द्वार पर हड़ताल होने की जानकारी अपने मरीजों को दी है।
एलोपैथी चिकित्सकों और आयुर्वेद के बीच लड़ाई लंबी छिड़ने के आसार हो गए है। आईएमए लगातार आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सर्जरी करने की शिक्षा पद्धति का विरोध कर रही है। आईएमए को अपने वर्चस्व पर खतरा मंडाराता हुआ दिखाई पड़ रहा है। वही केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में आयुर्वेद के ज्ञान की महत्वता को महसूस किया। केंद्र सरकार ने आयुर्वेदि चिकित्सकों में शल्य चिकित्सा के ज्ञान को बढ़ाने की योजना बनाई। जिसके बाद आयुर्वेदिक चिकित्सक भी एलोपैथी चिकित्सकों की तरह ही ऑपरेशन अर्थात शल्य चिकित्सा कर सकेंगे। सरकार की इसी योजना का विरोध करने के लिए आईएमए मुखर हो गया। एलोपैथी चिकित्सकों को लगने लगा कि अगर आयुर्वेदिक चिकित्सक आपरेशन करने में पारंगत हो गए तो उनके मरीज कम हो जायेंगे। बताते चले कि आयुर्वेद में सस्ता इलाज उपलब्ध है। जबकि एलोपैथी चिकित्सकों का इलाज जनता को बहुत मंहगा पड़ता है। अगर देवभूमि उत्तराखंड की बात करें तो यहां प्राचीन काल से हरिद्वार के आयुर्वेदिक कॉलेज और ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में शल्य चिकित्सा का ज्ञान चिकित्सकों को दिया जाता रहा है। गुरूकुल कांगड़ी आयुर्वेदिक कॉलेज के चिकित्सक व आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील जोशी शल्य चिकित्सा में निपुण है। उन्होंने अपने जीवन काल में तमाम सर्जरी करके मरीजों को ठीक किया है। डॉ सुनील जोशी की माने तो वह आयुर्वेदिक चिकित्सकों की बढ़ती ताकत और उनके असीमित ज्ञान को प्रभावशाली बनाने पर सरकार की प्रशंसा करते है। उन्होंने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुर्वेद के ज्ञान के महत्व को समझते हुए भारत की सबसे प्राचीन  चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का सम्मान पूरा विश्व करता है। आयुर्वेदिक ज्ञान ही भारत को विश्व गुरू बनाने के सपने को पूरा कर सकता है।


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