विधानसभा चुनाव 2022: भाजपा के युवा और कांग्रेस के बुजुर्गो के बीच मुकाबला





नवीन चौहान

उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव 2022 भाजपा के युवाओं और कांग्रेस के बुजुर्गो के बीच बेहद ही रोचक होने की संभावना बनती दिखाई पड़ रही है। भाजपा युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चेहरे और विकास कार्यो को लेकर वोट मांगेंगी। जबकि कांग्रेस की सियायत पूर्व मुख्यमंत्री और वयोबद्ध हरीश रावत के इर्द—गिर्द ही मंडरायेगी। देखने वाली बात यह होगी कि नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह की राजनैतिक योग्यता का कितना लाभ कांग्रेस हाईकमान उठा पायेगी। प्रीतम सिंह की अनदेखी करना भी कांग्रेस को भारी गुजरेगा।
कुल मिलाकर अभी तक जो हालात दिखाई पड़ रहे है। उसमें कांग्रेस की सियासत हरीश रावत के आसपास ही घूम रही है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व टिकट पाने की जुगत में लगे नेता हरदा की परिक्रमा कर रहे है।
उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों को लेकर बहुत ही कम वक्त बचा हुआ है। फरवरी 2022 से पूर्व विधानसभा चुनाव संपन्न कराने है। ऐसे में राष्ट्रीय राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस पूरी तरह से सक्रिय हो चुके है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा ने हरिद्वार देहरादून की सीमा से सटे एक होटल में दो दिवसीय मैराथन बैठक आयोजित कर अपनी टीम को अलर्ट किया और चुनावी मोड का टास्क दिया। बूथ स्तर से लेकर जन—जन तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को बताने के लिए कार्ययोजना तैयार कर दी। अध्यक्ष जेपी नडडा ने युवाओं को तरजीह देने का इशारा तक कर दिया। जिसके बाद से भाजपा के युवाओं में जोश और उत्साह का संचार हुआ है। वही दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो वह सत्ता के दिव्य स्वप्न में खोए हुए है। कांग्रेस को लगता है कि जनता से भाजपा नाराज है और उनका इंतजार कर रही है। कांग्रेस को सत्ता सौंपने का जनता मन बना चुकी है। बस चुनाव में जाने का इंतजार है। कांग्रेस अपने बुजुर्ग नेताओं और पुराने चेहरों को प्रत्याशी बनाकर उतारेगी और जीत दर्ज करेगी। ले​किन अगर वास्तविकता की बात करें तो शायद कांग्रेस की यही सबसे बड़ी भूल है। भाजपा एक बड़ा संगठन है और मजबूत टीम है। लेकिन प्रचंड बहुमत की सरकार में तीन—तीन मुख्यमंत्री बनाने की एक बड़ी भूल भी उनके साथ जुड़ी है। भाजपा ने साढ़े चार साल में भ्रष्टाचार को कम करने की दिशा में सार्थक कार्य किए है। त्रिवेंद्र सिंह रावत की अपने ही विधायकों से नाराजगी का सबसे बड़ा कारण भी उनकी ईमानदारी ही रहा। सचिवालय में दलालों की एंट्री बंद करने को लेकर उनके प्रयास भी उनकी विदाई का प्रमुख कारण रहे। भाजपा हाईकमान का अभिनव प्रयोग युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी पर है। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वाकपटु है। हालांकि बेहद ही कम वक्त में लोकप्रियता भी अर्जित कर रहे है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहकर अभी तक कोई बड़ा काम तो वह नही कर पाए। लेकिन भाजपा को चुनाव में जीत दिलाने में कोई कोर कसर नही छोड़ेगे। पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा चुनाव में जीत दर्ज करती है तो निसंदेह वह पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे और उनका भविष्य बेहद ही सुनहरा होगा। वह लंबी पारी खेलेंगे। लेकिन यहां तो कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं की बात चल रही है। हरीश रावत सत्ता हासिल करने और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के लिए एक बार फिर पुराने चेहरों पर ही दांव लगायेंगे। कांग्रेस का झंडा उठाकर घूम रहे युवाओं के अरमानों दिल में ही रह जायेंगे। जबकि कांग्रेस के युवा नेताओं की बात करें तो वह बुजुर्गो से अधिक सक्रियता से जनता के बीच में कार्य कर रहे है। जनता की समस्याओं को दूर करने में जुटे है। युवाओं को पार्टी का साथ मिलता है तो वह चुनाव को रोमांचक मोड में ला सकते है। युवा कांग्रेसी नेता वरूण बालियान ने बताया कि कांग्रेस युवाओं को तरजीह देगी तो मुकाबला बेहतर होगा।



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