आखिर डीजीपी अशोक कुमार को क्यों लिखना पड़ा कि मुझे खास व रिश्तेदार बताने वालों से रहे सावधान




नवीन चौहान
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सावधान किया है। यह सावधानी किसी खतरे या अपराध का नियंत्रण करने के लिए नहीं बल्कि उनके नाम के मिलने वालों से सावधान रहने को कहा है। उन्होंने लिखा है कि मुझे खास बताने वाले, रिश्तेदार बताने वाले के चक्कर में न आकर कोई ऐसा कार्य न करें जिससे पुलिस की छवि पर कोई सवाल उठाए।
डीजीपी अशोक कुमार ने लिखा है कि
साथी पुलिसकर्मी कृपया ध्यान दें
कभी कभी कुछ लोग आपके सामने कह सकते हैं कि डीजीपी तो हमारे भाई हैं, खास भइया हैं…” -“डीजीपी से तो हमारे बेहद घरेलू रिश्ते हैं”, -“ डीजीपी के यहां हमारा आना जाना है, उनके यहां रोज का उठना बैठना है”, डीजीपी हमारे गांव के हैं आदि आदि।
साथियों, जब भी कोई इस तरह की बातें करे तो कृपया सतर्क हो जाएं। सामान्यतः ऐसा कहने वाला सख्श आपको अपने प्रभाव में लेना चाह रहा है और हो सकता है कि वह आपसे अनुचित लाभ लेने अवैध काम कराने का भी प्रयास कर रहा हो। अतः आप से अनुरोध है कि कृपया ऐसे लोगों के जाल में बिल्कुल ना फंसें … शालीनतापूर्वक बात करते हुए बता दें कि किसी भी हाल में गलत काम नहीं होगा।
साथियों, मैं आपको बड़े ही सरल शब्दों में यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि प्रदेश में न तो कोई मेरा भाई है, न कोई मेरा खास है, और न ही यहां कोई मेरा रिश्तेदार है। मेरे सबसे नजदीक मेरे पुलिस वाले ही हैं। इसलिए कोई ऐसा बोले तो बोलिए कि ठीक है, हमारे डीजीपी हमारे भी हैं। इसलिए उनके दबाव में न आएं और वही करें जो सही है, गलत बिल्कुल भी ना करें।
हां इतना जरूर है कि यहां के सभी सम्भ्रांत जनों को मेरी नीयत और मेरी कार्य प्रणाली पर पूरा भरोसा है, जिसके कारण वे लोग जनहित के मद्देनजर मुझे सभी जरूरी सूचनाएं देते रहते हैं, जिन पर मैं पूरी निष्ठा से काम करता रहता हूं। आप सभी लोगों को ध्यानपूर्वक सुनें और उनकी कानून के दायरे में मदद करें.! जय हिन्द!!



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