नवीन चौहान.
जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक दलों में उठापठक का दौर शुरू हो गया है। एक दूसरे के नेताओं को अपने दल में शामिल करने की होड़ शुरू हो चुकी है। जिससे साफ पता चल रहा है कि प्रदेश की राजनीति के गलियारे में चल क्या रहा है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के बड़े नामचीन नेताओं को अपनी पार्टी के साथ जोड़ कर कांग्रेस को बड़ झटका दिया था। अब बारी कांग्रेस की है, वह भाजपा को तगड़े झटके देने के लिए तैयार है। जिस तरह से अचानक यशपाल आर्य ने अपने बेटे के साथ भाजपा छोड़कर फिर से कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया उससे साफ जाहिर के फिलहाल भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है।
भाजपा संगठन कहे या पार्टी हाईकमान का फैसला उन्होंने तीन तीन मुख्यमंत्री तो दिये लेकिन जो नाराजगी विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की थी वह दूर नहीं हो सकी। सत्ता के गलियारे से आवाज आ रही हैं कि पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला भी कुछ लोगों के गले नहीं उतर रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री हाल ही में अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान पुष्कर सिंह धामी की पीठ थपथपा कर गए हैं। लेकिन चर्चा यही है कि भाजपा के कामकाज को लेकर प्रदेश की जनता को कोई शिकायत नहीं है, मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर पार्टी के ही लोग अपनी नाराजगी जताते हैं।
यही हुआ साढ़े चार साल तक सफल कार्यकाल चलाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ, प्रदेश की जनता में वह लोकप्रिय रहे, उनके कामकाज को लेकर कभी कोई सवाल नहीं उठा। जनता के हित में उन्होंने कई कार्य किये, देवस्थानम बोर्ड के गठन को लेकर जरूर कुछ विरोध के स्वर आए लेकिन उसमें भी ऐसा कोई विरोध नहीं हुआ जिससे त्रिवेंद्र सिंह रावत के फैसले को लेकर सरकार को बैकफुट पर आना पड़े। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन उनका कार्यकाल भी चंद दिनों का ही रहा। अचानक संगठन ने उनसे इस्तीफा दिलाकर प्रदेश का नया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बना दिया।
पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद माना जा रहा था कि अब सबकुछ ठीक हो गया है। लेकिन यह धारणा उस वक्त टूट गई जब सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने अपने विधायक बेटे के साथ सोमवार को कांग्रेस में वापसी कर ली। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा उन्हें अपने खेमे में लेकर आयी थी। कांग्रेस से भाजपा में आने वालों में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के अलावा रूड़की के विधाकय प्रदीप बत्रा समेत अन्य कई बड़े नाम शामिल हैं। अब चर्चा ये भी हो रही है कि कांगेस छोड़कर भाजपा में आए कुछ और नेता भी वापस कांग्रेस में जाने का मन बना रहे हैं। हालांकि भाजपा नेता इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं।
अब देखना यही है कि आने वाले दिनों में राजनीति के गलियारे में और क्या क्या उठापठक होती है। जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में अपने पैर फैलाने शुरू किये हैं उसके चलते प्रदेश की राजनीति के कुछ बड़े नाम आप पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं। लोग यही कह रहे हैं कि ये राजनीति है साब, यहां सब कुछ जायज है, नेता अपने फायदे के लिए किसी भी दल में जाने के लिए तैयार रहते हैं। ये जनता है ये सब देख रही है।