50 दिन बीत जाने के बाद भी बैंकों के बाहर लाईन




हरिद्वार। 50 दिन बीत जाने के बाद भी बैंकों के बाहर लाइनों के लगने का क्रम हरिद्वार धर्मनगरी में जारी हैं। एटीएम एवं बैंकों में सुबह ही उपभोक्ता लाईनों में पैसे लेने केे चक्कर में जुटे रहते है। कैश की कमी के चलते लाईनें समाप्त होने का क्रम नहीं हो पा रहा है। युवक-युवतियां महिलायें, वृद्धजन अब भी बैंकों में पैसे लेने के चक्कर में लाईनों में लग रहे हैं। 50 दिन बीत जाने के बाद अब तक कैश की कमी से बैंक जूझ रहे हैं। कुछ बैंकों में लाईनों की कतारें लगातार लगी रहती है। जबकि कुछ बैंकों में व्यवस्थाओं में कुछ सुधार आ गया है। उपभोक्ताओं का कहना है कि कैश की कमी के चलते रोजमर्रा बैंकों व एटीएम के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। केन्द्र सरकार घोषणायें तो कर देती है लेकिन केश की उपलब्धता अब तक सुचारू रूप से नहीं हो पाई है। रोजमर्रा के कार्य बैंकों की लाईनों में खड़े रहने के कारण प्रभावित हैं। नौकरी पेशा वर्ग 1 तारीख के बाद बैंकों में लगातार पैसे निकालने के चक्कर में जुटा हुआ है लेकिन बैंकों में कैश नहीं होने के कारण पैसे नहीं मिल रहे हैं। नये नोटों की खैप अब तक बैंकों में ज्यादा मात्रा में नहीं पहुंच पा रही है। जिसके चलते लोग काफी परेशान हैं। बैकों की लाईनों में लगे रहने से सीनियर सिटीजन भी हताश हो रहे हैं। वेतनभोगियों को समय पर बैंकों से भुगतान नहीं होने के कारण जरूरी कार्य भी कैश के चलते प्रभावित हो रहे है। आर्थिक मंदी का दौर भी साफ तौर पर हरिद्वार नगरी में देखने को मिल रहा है। बैंकों की व्यवस्थाओं में अब तक सुधार नहीं होने से उपभोक्ताओं में नाराजगी भी देखने को मिल रही है। घोषणायें तो कर दी जाती है लेकिन बैंक उन घोषणाओं को पूरा करने में विफल साबित हो रहा है। एटीएम से निर्धारित धनराशि नहीं मिल पा रही है। महीने की शुरूआती दिनों में लगातार खर्चे लोगों के बढ़ जाते है। स्कूल की फीस से लेकर तमाम खर्चे बुरी तरह से प्रभावित हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कैश की कमी को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिये जिससे रोजमर्रा के कार्य प्रभावित ना हो बच्चों की फीस से लेकर खाने पीने की वस्तुएं महीने भर की लेनी पड़ती है लेकिन घरों में पैसे की कमी के चलते रोजमर्रा के कार्यो में ब्रेक लग रहा है।


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