नवीन चौहान.
इस बार कुंभ 2021 पर कोरोना का साया गहरा गया है। सरकार को उम्मीद थी कि कोरोना के बावजूद वह कुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटा लेंगे, लेकिन सरकार की कुछ नीतियों की वजह से मेले में आने से बाहरी प्रदेशों के श्रद्धालु किनारा कर रहे हैं। ऐसे में इस बार कुंभ केवल रस्म आदयगी तक ही सिमट कर रहने की संभावना है।
कुंभ का विधिवत आयोजन शुरू हो चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री बीच कुंभ में अखाड़ों को भूमि आवंटन करने के निर्देश दे रहे हैं। सीएम के ये निर्देश मेला प्रशासन की गले की फांस बने हैं। सूत्रों की मानें तो अधिकारी भी कह रहे हैं कि चार दिन बाद शाही स्नान है, ऐसे में अब भूमि आवंटन कर वहां कैसे सभी सुविधाएं समय से उपलब्ध हो सकेंगी। पुलिस और प्रशासन इस समय कोरोना जांच पर फोकस किये हुए है। प्रदेश में आने वाले सभी बॉडरों पर कोरोना जांच को लेकर सख्ती बरती जा रही है। बिना आरटीपीसीआर जांच के प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में जरूरी कार्य से भी हरिद्वार या देहरादून आने वाले यात्री अब बचने लगे हैं। यूपी की बसों को बॉर्डर से वापस लौटा दिया गया था। ऐसे में अब हरिद्वार कुंभ में आने वाले लोग भी जांच की वजह से अपने यहां आने का प्रोग्राम कैंसिल कर रहे हैं।कुंभ में स्नान करने की तैयारी कर रहे सूरजमल और रामसिंह का कहना है कि बॉर्डर पर जांच के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा, अब कौन वहां जांच के लिए रूके, बाद में जब जांच बंद हो जाएगी तब हरिद्वार जाने की सोचेंगे। नारसन बॉर्डर पर हो रही कोरोना जांच भी सवालों के घेरे में है। जितने यात्री रोजाना हरिद्वार आ रहे हैं उतनी जांच नहीं की जा रही है, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यदि सभी लोगों की जांच नहीं हो रही है तो फिर पाबंदी क्यों।
मेरठ के रहने वाले कुलदीप कुमार का कहना है कि वह मार्च के शुरू में हरिद्वार गए थे, लेकिन उनके मोबाइल फोन पर अभी हाल में ही एक मैसेज आया कि उनका आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल कलेक्ट किया गया है, जबकि जिस समय सैंपल कलेक्ट करने का मैसेज उन्हें मिला उस वक्त वह मेरठ में थे।
ये बात सही है कि कोरोना संक्रमण को लेकर गाइड लाइन का पालन करना जरूरी है, लेकिन गाइड लाइन पालन कराने के नाम पर बदसलूकी की शिकायतें भी सामने आ रही है। ऐसे में कुंभ में आने वाले यात्रियों का विश्वास जीतना सबसे बड़ी चुनौती है। अब देखना यही है कि सरकार कैसे कोरोना संकट के बीच यात्रियों को कुंभ लाने में सफल होती है।