अवैध कॉल सेंटर के खातों में हुआ 225 करोड़ का लेनदेन, एक मीडिया हाउस भी संदेह के घेरे में




योगेश शर्मा.
उत्तराखंड पुलिस द्वारा पकड़े गए अवैध कॉल सेन्टर के मामले में जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में ये भी सामने आया कि कॉल सेंटर के संदिग्ध खातों में 225 करोड़ की धनराशि का लेन-देन हुआ। इस संबंध में मिली जानकारी विभिन्न एजेन्सियों से सांझा की जा रही है।

मुख्यमंत्री उत्तराखंड के निर्देशों के क्रम में प्रदेश के निवासियों को साइबर अपराधियांे द्वारा जनता से ठगने वालांे पर सख्त कार्यवाही पर पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड द्वारा एसटीएफ व साइबर पुलिस को प्रभावी कार्यवाही हेतु दिशा निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में साइबर अपराधी आम जनता की गाढ़ी कमाई हड़पने हेतु अपराध के नये-नये तरीके अपनाकर धोखाधड़ी कर रहे है।

इसी परिपेक्ष्य में साइबर अपराधों द्वारा फर्जी कॉल सेन्टर के माध्यम से लोगों से ठगी की सूचना एसटीएफ को प्राप्त हो रही थी। जिस क्रम में दिनांक 21/07/2022 को एसटीएफ एवं साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन की पुलिस टीम द्वारा एक अन्तराष्ट्रीय कॉल सेन्टर पर छापा मारा गया जिसमें 1.26 करोड़ रुपये नगद, 250 लैपटॉप व 85 कम्प्यूटर जब्त किये गये थे। प्रकरण के सम्बन्ध में साइबर थाने पर अभियोग पंजीकृत किया गया। इस अभियोग में अब तक 14 लोगों को जेल भेजा जा चुका है तथा अन्य संदिग्ध तथा फरार अभियुक्तों के विरुद्ध साक्ष्य संकलन की कार्यवाही की जा रही है।

पुलिस के मुताबिक जानकारी में इस अवैध कॉल सेन्टर के साथ-साथ 01 संदिग्ध मीडिया हाउस की जानकारी भी प्रकाश में आई है और हवाला के माध्यम से मनी लॉड्रिंगकी संभावना प्रतीत होती है। घटना में विभिन्न बैंक खातांे के विश्लेषण से अनुमानित 225 करोड़ के संदिग्ध धन के लेनदेन की जानकारी भी इन एजेन्सियों से सांझा की जा रही है। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी से भी पत्राचार किया गया है, जिनसे टॉल फ्री नम्बरांे के सम्बन्ध में दुनियाभर से प्राप्त शिकायतों की जानकारी मांगी गयी है, जिसकी जानकारी बहुत जल्द मिलने की संभावना है।

प्रभारी एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड द्वारा आश्वासन दिया गया है कि एसटीएफ लगातार इस प्रकार के अवैध कॉल सेन्टरो पर प्रभावी कार्यवाही कर रही है, इस मामले में भी तह तक जायेगी एवं हर प्रकार के तथ्यो को खंगालेगी। जनता से अपील की है कि कस्टमर केयर से बताकर फोन करने वाले व्यक्ति की बातांे में न आये और न ही उसे अपने वॉलेट/बैंक सम्बन्धी को जानकारी साझा करें। कोई भी शक होने पर तत्काल निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन व साईबर हेल्पलाईन 1930 पर सम्पर्क करें ।



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