- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के विधि अध्ययन संस्थान में वेबिनार का आयोजन
संजीव शर्मा
विधि अध्ययन संस्थान चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ द्वारा आज एक दिवसीय वेबीनार डेजरटेशन नीड, यूटिलिटी एंड मेकैनिज्म का आयोजन किया गया। वेबिनार के मॉडरेटर डा. योगेन्द्र शर्मा ने सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर एन.के. तनेजा, प्रति कुलपति प्रोफेसर वाई विमला एवं समन्वयक डॉ विवेक कुमार का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के विधिवत शुभारंभ का अनुरोध किया।
भाषायी कठिनाई शोध में बाधक नहीं
विश्वविद्यालय के मा कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि डेजरटेशन शोध की प्रथम सीढ़ी है और शोध उच्च शिक्षा की सीढ़ी है। इसके क्रियान्वन के लिए छात्रों को उद्यमशील होना चाहिये। भाषायी कठिनाई शोध में बाधक नहीं है अपितु तकनीकी सहायता से उच्च कोटि के शोध को करना चाहिये। कुलपति ने कहा कि प्रासंगिक एवं मूल्यपरक शोध को बढ़ावा दिया जाये और कहा कि विधि अध्ययन संस्थान में अध्ययनरत विधार्थी उत्तम गुणवत्ता के साथ अच्छे शोधार्थी साबित होंगे।
शोध का अर्थ और महत्व समझाया
संस्थान की शिक्षिका डॉ कुसुमावती ने शोध का अर्थ और महत्व समझाया, संस्थान के शिक्षक आशीष कौशिक ने शोध पद्धति के महत्त्व को समझाते हुए शोध प्रक्रिया में सम्मिलित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि प्लेगरिज्म का प्रचलन बढ़ गया है, इस वजह से यू.जी.सी ने इसके लिये प्रावधान बनाये हैं, विभाग की शिक्षिका सुदेशना ने डेजरटेशन में शोध प्रारुप की भूमिका के बारे में जानकारी दी और फुटनोट एवं संदर्भ ग्रंथसूची को लिखने का तरीका बताया।
डेजरटेशन का महत्व बताया
विभाग की शिक्षिका अपेक्षा चौधरी ने बताया कि एलएल.एम. में डेजरटेशन का उतना ही महत्व है जितना सोलर सिस्टम में सूर्य का है। यह उपाधि प्राप्त करने के पश्चात रोजगार में भी सहायक है। संस्थान के समन्वयक डाॅ0 विवेक कुमार ने विधार्थियों को प्रयोगात्मक शोध करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि संस्थान में मौलिक शोध को बढ़ावा दिया जा रहा है।
दूसरे विभागों के छात्रों को भी किया जाए शामिल
विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रोफेसर वाई विमला ने वेबिनार को सफल आयोजन बताते हुए कहा कि इस तरह के गुणवत्तापूर्ण आयोजनों में अन्य विश्वविद्यालयों एवं विभागों के छात्रों को भी शामिल किया जाना चाहिये जिससे वो भी इसका लाभ उठा सकें। इस पर संस्थान ने जल्दी ही एक राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजित किये जाने के लिये कहा।
अर्जुन जैसा होना चाहिए प्रश्नकर्ता
संचालन करते हुए विभाग के शिक्षक डॉ योगेन्द्र शर्मा ने कहा कि हमारी जिज्ञासु प्रवृत्ति होनी चाहिए और इसके लिए स्वाध्याय करना चाहिए, महाभारत में कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन कृष्ण संवाद का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि अर्जुन जैसा प्रश्नकर्ता हो तो वह श्रीमदभागवत गीता जैसा ग्रंथ तैयार करवा लेता है।
सभी का किया धन्यवाद ज्ञापित
विभाग के शिक्षक डॉ सुशील शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया, अन्त में समन्वयक महोदय ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रशासनिक एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करने हेतु आभार प्रकट किया। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी अपूर्व मित्तल, पुष्पेंद्र, अक्षय तेवतिया, अंकित लोधी, मितेंद्र गुप्ता आदि मौजूद रहे।