सीएम साहब यात्री पिटेंगे, पालिकाकर्मी हड़ताल करेंगे और पुलिस झेलेंगी, देखिए वीडियो




नवीन चौहान
उत्तराखंड में पर्यटकों का स्वागत पिटाई से हो रहा है। ताजा मामला मसूरी का है। जहां टोल टैक्स की रसीद कटाने को लेकर पालिका कर्मचारियों और पीआरडी के जवानों ने मेरठ के कार सवार तीन पर्यटकों को बीच सड़क पर जमकर पीटा, उनके साथ गाली गलौच की गई और उनका सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया गया। पुलिस ने यात्रियों को सुरक्षित बचाकर निकाला और आरोपी पालिका कर्मचारियों, पीआरडी जवान व दो स्थानीय युवकों को मारपीट करने के आरोप में चालान कर हवालात में डाल दिया। जिसके बाद तमाम पालिका कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। कानून व्यवस्था का अनुपालन कराने वाली मसूरी कोतवाल भावना कैंथोला को हटाने के लिए प्रदर्शन किए जाने लगे। सड़कों पर जलूस निकाले जाने लगे। सियासत तेज हो गई। वोट बैंक की राजनीति में पुलिस फंस गई। ऐसे में बड़ा सवाल है कि कानून का अनुपालन कराने वाली पुलिस ही सबके निशाने पर क्यो रहती है। पुलिस के विरोध में पालिका कर्मियों ने मसूरी से कूड़ा तक नही उठाया। घटना 17 जून साढ़े तीन बजे की है।

घटनाक्रम के मुताबिक यूपी के मेरठ से तीन युवक स्विफ्ट कार में सवार होकर मसूरी घूमने के लिए जा रहे थे। कार चालक जब मसूरी में पालिका बैरियर पर पहुंचे तो पालिकाकर्मी टोल टैक्स की परची काटने लगे। कार सवार युवकों ने बताया कि टोल टैक्स तो कोलू खेत में दे दिया। जिसकी परची उनके पास है। पर्यटकों ने बैरियर पर मौजूद पालिकाकर्मी को टोल परची दिखाई। लेकिन पालिकाकर्मचारी टोल टैक्स लेने की जिद्द पर अड़े रहे। जिसके बाद पालिकाकर्मी और पर्यटकों के बीच बहस होने लगी। इसी दौरान गाली गलौच शुरू हो गई। जो मारपीट में तब्दील हो गई। पालिकाकर्मियों के साथ पीआरडी जवान और स्थानीय युवकों ने मेरठ के युवकों को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। सूचना पर पहुंची ने तीनों युवकों को बचाया। घायल युवकों की शिकायत पर आरोपी तीन पालिकाकर्मी, एक पीआरडी जवान और दो स्थानीय युवकों को हिरासत में ले लिया। पुलिस की कार्रवाई से मेरठ के युवक पिटाई खाने के बाद संतुष्ट नजर आए और अपने गंतव्य की ओर चले गए। पुलिस ने सभी छह लोगों का शांतिभंग में चालान कर हवालात में डाल दिया। पुलिस के समझाने के बाद मेरठ के युवकों ने मुकदमा दर्ज नही कराने का मन बनाया और चले गए। लेकिन पुलिस के चालान करने और हवालात में डालने की बात से नाराज पालिकाकर्मियों ने पुलिस के खिलाफ ही मोर्चा खोलने की तैयारी कर दी। पालिका कर्मचारियों ने मंगलवार को कूड़ा उठाने की वजाय हड़ताल का रास्ता अपनाया। पूरा मसूरी कूड़े के ढेर में तब्दील हो गया। जबकि कोतवाली प्रभारी भावना कैंथोला को हटाने जाने की मांग की जाने लगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाली पुलिस को अराजकता भी रोकनी है। मारपीट हिंसा का रूप ना ले इस स्थिति को भी संभालना है। घायलों को प्राथमिक उपचार भी दिलाना है। उसके बाद यात्रियों को मुकदमा दर्ज नही कराने के लिए गुजारिश भी करती है। ऐसे में अगर मेरठ के युवक मुकदमा दर्ज कराने की जिद्द पर अड़ जाते तो फजीहत किसकी होती। पुलिस की या पालिका कर्मचारियों की। यात्रियों की पिटाई से पूरे देश में उत्तराखंड क्या संदेश जाता है।इस प्रकरण में मेरठ के युवकों ने उकसाने को भी नजर अंदाज नही किया सकता है। युवकों ने जरूर पालिकाकर्मियों से अभद्रता की होगी। लेकिन मारपीट करना भी उचित नही है।
आखिर पुलिस की गलती क्या है
इस पूरे एपिसोड में पुलिस का गलती है। क्या गलती है मसूरी के लोगों की जो गंदगी के ढेर पर बैठे है। पालिका कर्मचारियों को यात्री से मारपीट करने का अधिकार किसने दिया। अपनी बात को समझाने के और भी तरीके होते है। जो भी काम करो कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए। हर किसी व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए। एक गलती मारपीट करने और दूसरी गलती अपनी बात को ऊपर रखते हुए कोतवाल को हटाने की। ऐसे में गलती किसकी है ये कौच बतायेगा। साहब। आत्म मंथन को चिंतन करो। लेकिन मानवीयता से पूर्ण इंसान बनो।
कोतवाल भावना की भूमिका सराहनीय
यात्रियों से बदसलूकी के प्रकरण में मसूरी कोतवाल भावना कैंथोला की भूमिका की सराहना की जानी चाहिए। जिसने एक विवाद को सामान्य बातचीत से ही समझा बुझाकर 151 की धाराओं में ही समाप्त कर दिया। ऐसे में मित्र पुलिस पर मेरठ के यात्रियों का भरोसा भी कायम रहा और कानून का अनुपालन भी हुआ। लेकिन अगर वास्तविकता की बात की जाए तो कोतवाल भावना कैंथोला ने जिन स्थानीय पालिकाकर्मी का हित किया वे ही अब हड़ताल पर है। कोतवाल भावना कैंथोला के चलते पुलिस रिकार्ड में उत्तराखंड के कर्मचारियों का कारनामा दर्ज होने से रह गया।



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