सोनी चौहान
विधानसभा का शीतकालीन सत्र मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। पांच दिन चले सत्र में सदन की कार्यवाही 20 घंटे 12 मिनट चली। इस दौरान सरकार 19 विधेयक पारित कराने में कामयाब रही। उसे चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक को लेकर विपक्ष के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत विपक्ष ने 27 मामले उठाए। विधानसभा अध्यक्ष सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया। उन्होंने सदन की कार्यवाही संचालन में सहयोग के लिए सदस्यों का धन्यवाद किया।
इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि चार दिसंबर से आरंभ हुए सत्र के दौरान सरकार 19 विधेयक और छह अध्यादेश लाई थी। जिन्हें सदन में पारित किया गया। इसके अलावा सदन में कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत 27 सूचनाएं प्राप्त हुई। जिसमें से 25 की स्वीकृति दी गई। नियम 300 में 125 में से 28 को स्वीकृत किया गया और 28 को ध्यानाकर्षण के लिए भेजा गया। नियम 53 में 87 मं से 10 सूचनाएं स्वीकृत हुई। नियम 310 में में दो सूचनाओं को नियम 58 में परिवर्तित किया गया।
स्पीकर ने बताया कि सदस्यों के कुल 893 प्रश्न प्राप्त हुए थे। जिसमें 194 तारांकित प्रश्नों में से 59 के सदन में उत्तर दिए गए। 633 अतारांकित प्रश्नों में से 365 के भी जवाब पटल पर आए। सदस्यों ने 13 अल्पसूचित प्रश्न पूछे थे। जिनमें से आठ के जवाब प्राप्त हुए। कुल 53 प्रश्न अस्वीकृत किए गए।
श्राइन प्रबंधन विधेयक अब कहलाएगा देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम
उत्तराखंड चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक से सरकार ने श्राइन शब्द को हटाकर मंगलवार को सदन में संशोधित विधेयक पास किया। जिसके बाद श्राइन प्रबंधन विधेयक अब उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक 2019 कहलाएगा। विधेयक में जहां कही भी श्राइन शब्द का इस्तेमाल किया गया है। उसके स्थान पर देवस्थानम पढ़ा जाएगा। विधेयक पर सदन में चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों के सुझाव के बाद इसमें यह संशोधन किया गया है।
चारधाम श्राइन प्रबंधन विधेयक पर मंगलवार चर्चा के दौरान बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट ने सुझाव रखा कि श्राइन शब्द ठीक नहीं है। इसके स्थान पर उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड किया जाए। वहीं बोर्ड के उपाध्यक्ष का पद किसी हक हकूकधारी को दिया जाए।
विधायक ने बोर्ड का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश में सब मंदिरों की अलग-अलग परंपराएं हैं। सरकार की ओर से इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है। धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने भी श्राइन बोर्ड के स्थान पर देवस्थानम बोर्ड किए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया। सत्ता पक्ष के विधायकों के प्रस्ताव के बाद सदन में संशोधित विधेयक को पास कर दिया गया।
हंगामे के बीच 28 अनुदान मांगें 25 मिनट में पारित
सोमवार को विधानसभा सत्र में विपक्ष के हंगामे के चलते 28 विभागों की अनुदान मांगे केवल 25 मिनट में ही बिना किसी चर्चा के पारित हो गईं। विपक्ष के असहयोग का फायदा उठाते हुए सत्ता पक्ष ने विनियोग विधेयक भी बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया।
सदन में अनुदान मांगों का प्रस्ताव ठीक 3 बजकर 20 मिनट पर आया। उस समय विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान बतौर सभापति सदन का संचालन कर रहे थे और विपक्ष के सदस्य श्राइन बोर्ड विधेयक के विरोध में वैल में धरने पर बैठे हुए थे। पीठ की ओर से सदस्यों से अपनी सीट पर वापस जाने का आग्रह किया जाता रहा।
सदन में ट्रेजरी बैंच में संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज मौजूद थे। अधिकतर प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने पेश किए। 3.31 पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल सदन में पहुंचे तो विरोध कर रहे कांग्रेसी सदस्यों ने नारेबाजी भी शुरू की। कुल मिलाकर 28 अनुदान मांगों को 3.35 पर पारित करा लिया गया।