नींद से जागी उत्तराखंड सरकार ने उठाया ये कदम




नवीन चौहान

नींद से जागी उत्तराखंड सरकार ने आखिरकार जहरीली शराब प्रकरण में जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत कुमार पर निलंबन की कार्रवाई की संस्तुति कर दी। उत्तराखंड के आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने इस पूरे प्रकरण में जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत की कार्यशैली पर असंतुष्टता जाहिर करने के बाद निलंबन की कार्रवाई की है। इसके अलावा सहायक आबकारी आयुक्त प्रर्वतन दल के नाथू राम जोशी को भी निलंबित करने के साथ पांच अन्य अधिकारियों के विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है।
हरिद्वार के भगवानपुर में जहरीली शराब के सेवन से तीन दर्जन से अधिक लोगों की असमायिक मौत हो गई थी। जबकि यूपी के सहारनपुर में भी पांच दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। अवैध तरीक से हरिद्वार में कच्ची शराब बनाये जाने को लेकर हरिद्वार की जनता आक्रोषित थी। जनता ने आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया था। लेकिन अचानक हुई इन मौतों के बाद प्रदेश में सियायी तूफान मच गया। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने विधानसभा सत्र के दौरान हरिद्वार के जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत के खिलाफ विरोध दर्ज कराया और हटाने की मांग की। इस प्रकरण में हाईकोर्ट ने जिला आबकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद एकाएक प्रदेश के आबकारी मंत्री प्रकाश पंत एक्शन मे आ गए। आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने अपने फेसबुक पेज पर आबकारी विभाग के खिलाफ की गई कार्रवाई करने की पोस्ट अपलोड कर जनता को जानकारी देकर अपना पक्ष रखा। आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने लिखा कि आठ फरवरी 2019 को हरिद्वार जनपद के रूड़की में मौत के लिए 7 अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। लेकिन अधिकारियों के उत्तर संतोषजनक नही पाए गए। जिसमें जिला आबकारी अधिकारी प्रशांत कुमार और नाथूराम जोशी को निलंबित व कैलाश बिंजौला, सहायक आबकारी आयुक्त प्रर्वतन दल गढ़वाल, रमेश चौहान, उपायुक्त देहरादून, बीएस चौहान, संयुक्त आबकारी आयुक्त गढ़वाल, पीएस गर्बियाल अपर आबकारी आयुक्त, मीनाक्षी टम्टा, सहायक आबकारी आयुक्त प्रवर्तन दल, गढ़वाल के खिलाफ विभागीय जांच प्रारंभ करने की जानकारी दी है। हालांकि आबकारी मंत्री प्रकाश पंत का ये आदेश देर आए दुरस्त आए की तर्ज पर ही सही पर उचित कदम कहा जायेगा। अगर प्रकाश पंत ये कदम पहले ही दिन उठा लेते तो सरकार की किरकिरी नहीं होती। जनता में भी भाजपा सरकार पर भरोसा बनता। लेकिन हाईकोर्ट की फटकार और विपक्ष के तीखे हमलों के बाद उत्तराखंड सरकार का ये कदम जनता में विश्वास कायम करने के लिए एक उचित पहल कहा जायेगा। बताते चले कि वित्त मंत्रालय के साथ आबकारी मंत्रालय देख रहे प्रकाश पंत की छवि एक साफ सुथरे जननेता के तौर पर मानी जाती रही है। लेकिन इस प्रकरण में उनके निर्णय की देरी ने भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। आखिरकार उनके इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए।



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