नवीन चौहान
उत्तराखंड के एक विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियंत्रक पद पर आसीन व्यक्ति ने अपनी पदोन्नती कराने के लिए शासनादेश की धज्जियां उड़ाकर रख दी। तत्कालीन कुलसचिव की संस्तुति की अनदेखी कर अपने फायदे के अनुसार आदेश पारित करा लिए। पदोन्नती पाने की चाहत में उक्त साहब ने अपने ही विभाग के सीनियर का ही पत्ता साफ करा दिया। जिसके बाद यह प्रकरण सूचना के अधिकार में उजागर हुआ। जिसके बाद उप सचिव विभागीय अपीलीय अधिकारी ने उक्त अधूरे नोटिफिकेशन के संबंध में जानकारी मांगी है।
उत्तराखंड में पैंसे और पद की चाहत में लोग किस कदर सरकारी सिस्टम का उपहास उड़ाते है इसकी बानगी उत्तराखंड के एक विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियंत्ररक के पद पर आसीन व्यक्ति को देखकर लगाई जा सकती है। इस व्यक्ति ने अपना पे—ग्रेड बढ़वाने और पद हासिल करने के लिए शासन के अफसरों को अंधेरे में रखकर शासनादेश की ही धज्जियां उडा दी। मलाई खाने की एक इच्छा तो पूरी हो गई। शासन के अधिकारी को अंधेरे में रखकर पे—ग्रेड को बढ़वाने की अनुमति हासिल कर ली। जबकि पदोन्नी की राह में अनुभव का रोढ़ा अटक गया। पदोन्नी में सबसे बड़ा रोढ़ा उत्तरांचल राज्य विश्व विद्यालय केंद्रीयित सेवा नियमावली 2006 का भी उल्लघंन किया गया। आखिरकार विश्वविद्यालय में इस प्रकरण को लेकर माहौल गरमा गया है। हालांकि जब गलत तरीके से पे—ग्रेड बढ़ाने की अनुमति लेकर आया था तभी भी बवाल मचा था। तत्कालीन कुलसचिव ने इस पूरे मामले से दूरी बना ली। जब उनसे कोई संस्तुति नही ली गई तो वह भी शासन के अफसरों के सामने चुप रहे। अब चूंकि मामले सुर्खियों में है तो लिहाजा जांच भी होगी। जांच होगी तो इस प्रकरण में एक बार उत्तराखंड में भ्रष्टाचार की पोल खुलेगी। देखना होगा कि अपने फायदे के लिए इस उत्तराखंड को कर्ज में डूबने वाले इन जनाब पर क्या कार्रवाई होती है।