नवीन चौहान
प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में जनता को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है। जनता पीड़ित है और अफसर चिटठी—चिटठी खेल रहे है। अधिकारी पीड़ित जनता को चिटठी शासन में भेजने का हवाला दे रहे है। जी हां हम बात कर रहे फ्रेगमेंट कानून में शासन और अधिकारियों के बीच में चिट्ठी—चिटठी की। इन चिटठियों का सिलसिला तब शुरू हुआ जब फ्रेगमेंट कानून में जनता को राहत देने के लिए सरकार की ओर से पहल की गई। और जमीन का विधिमान्यकरण कराने के लिए वर्तमान सर्किल रेट का 10 फीसदी राजस्व देने का शासनादेश जारी हो गया। लेकिन शासन की ओर से जारी शासनादेश में ऐसा पेंच फंसा कि जनता अधिकारियों की चौखट पर नाक रगड़ रही है। जनता की नाक घिस गई पर सरकार की आंखें नही खुली।
बताते चले कि हरिद्वार जनपद के अलावा उत्तराखंड के कई अन्य जनपदों में जमींदारी विनाश भूमि सुधार अधिनियम की धारा 168 लागू होने से हजारों भू स्वामियों के नाम खतौनी में नहीं चढ़ पा रहे थे। इसमें बड़ी संख्या में हरिद्ववार के जगजीतपुर, सुभाषनगर, शिवालिक नगर, सिडकुल के भू स्वामी शामिल थे। फ्रेगमेंट कानून के कारण कई क्षेत्रों में भू उपयोग परिवर्तित नहीं हो पा रहा था। भूखंडों के दाखिल खारिज कराने में लोगों को कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा था। वहीं मकान को बेचने और बैंक लोन लेने में भी दिक्कत आ रही थी। फ्रेगमेंट कानून के कारण सुभाष नगर के 68 भूस्वामियों के मामले लंबे समय से कोर्ट में लंबित चल रहे थे। कांग्रेस की हरीश रावत सरकार ने इस फ्रेगमेंट कानून में संसोधन करने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई। जनता जनप्रतिनिधियों के घरों पर चक्कर लगाती रही। रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने जनता की समस्याओं को सुना और सरकार के कानों तक पीड़ितों की आवाज पहुंचाई। केबिनेट की बैठक में प्रस्ताव रखा और जनता के साथ इंसाफ दिलाने की कवायद शुरू हुई। विधायक आदेश चौहान की कोशिशों पर वर्तमान की त्रिवेंद्र सरकार ने जनहित में फ्रेगमेंट कानून में संशोधन से बैनामों के भू उपयोग के परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश जारी किए। त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने वर्तमान निर्धारित सर्किल रेट का 10 फीसदी राजस्व सरकार के खजाने में जमा कर भूस्वामी को फ्रेगमेंट से जुड़े बैनामों की दाखिल खारिज कराने की छूट प्रदान कर दी। सरकार की पहल पर शासनादेश जारी हो गया।
जीरो के स्पष्ट ना होने का हवाला
शासन की ओर से जारी शासनादेश का अफसरों ने अपने—अपने तरीके से लागू किया। अफसरों ने जमीन की दाखिल खारिज कराने के फ्रेगमेंट कानून में भूमि पर बने मकान का भी जुर्माना लगा दिया। जबकि रूड़की में तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नितिका खंडेलवाल ने जमीन पर ही फ्रेगमेंट शुल्क लगाकर जनता की जमीन का दाखिल खारिज कराने का रास्ता साफ किया। लेकिन हरिद्वार तहसील में जमीन और मकान दोनों पर फ्रेगमेंट शुल्क लगा दिया गया। जिसके चलते पीड़ित जनता ने जीओ का हवाला दिया तो एसडीएम कुश्म चौहान ने इस पूरे मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक रावत के संज्ञान में लगाया गया। हरिद्वार प्रशासन की ओर से राजस्व सचिव को चिटठी भेजी गई और शासनादेश को स्पष्ट करने को कहा गया। लेकिन राजस्व सचिव की ओर से हरिद्वार प्रशासन को दूसरी चिटठी जारी कर दी गई। जिसमें उन्होंने फ्रेगमेंट की समयावधि बढ़ाने जाने का हवाला दिया। तभी से चिटठी—चिटठी का खेल चल रहा है। जनता न्याय के लिए भटक रही है। हालांकि हरिद्वार एसडीएम कुश्म चौहान ने इस पूरे मामले में जनता की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए शासनादेश को स्पष्ट करने की बात कही है। लेकिन शासन की ओर से कोई सकारात्मक जबाव नही मिलने के कारण जनता को इस कानून में फेरबदल होने का लाभ नही मिल पा रहा है।
ईमानदार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सरकार में अफसर खेल रहे चिटठी—चिटठी
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