नवीन चौहान,
हरिद्वार में आतंक का पर्याय बने आदमखोर गुलदार का अंत हो गया है। गुलदार को वन विभाग की टीम के साथ दो शिकारियों ने अपने अचूक निशाने का शिकार बनाया। गुलदार के मारे जाने के बादभेल के लोगों को बड़ी राहत मिली है. गुलजार का शिकार करने से पूर्व डीएफओ आकाश वर्मा का कुशल नेतृत्व ओर दो शिकारियों के अचूक निशाने ने इस मिशन को सफल बनाया है.
बताते चलें कि भेज क्षेत्र के लोग पिछले काफी दिनों से गुलदार के आतंक से परेशान थे गुलदार ने 2 लोगों को मौत का शिकार बना दिया था जबकि एक व्यक्ति को घायल करके छोड़ दिया था. गुलदार आदमखोर हो गया था. जिसकी दहशत से स्कूली बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था. स्कूली बच्चे पढ़ाई छोड़कर गुलदार के आतंक से दहशत जदा थे. जिसके बाद डीएफओ आकाश वर्मा ने गुलदार को मौत की गहरी नींद सुलाने का निर्णय किया. गुलदार को मारने के लिए दो शूटरों को बुलाया गया. डॉ प्रशांत सिंह और मिस्टर जहीर ने ऑपरेशन गुलदार शुरू किया. इस ऑपरेशन का नेतृत्व डीएफओ आकाश वर्मा ने किया.
शनिवार को 3:30 बजे ऑपरेशन गुलदार शुरू किया गया. गूगल मैप की मदद से एरिया सर्च किया गया. जहां अधिक मात्रा में जंगली जानवर पाए गए. शाम 7:50 बजे टीम को सफलता मिली और गुलदार का अंत किया गया. गुलदार को एक गोली मारी और वहीं पर ढेर हो गया।
पांच घंटे की घेराबंदी के बाद मिली सफलता
गुलदार को मारने को मारने का मिशन दोपहर 3:30 बजे से शुरू हुआ। टीम ने उस क्षेत्र को खोज लिया जहां गुलदार के ताजा पैरों के निशान थे। गुलदार के पैरों के निशान केंद्रीय विद्यालय से सटे एक छोटे से जंगल के में पाया गया था। जिसके बाद गुलदार को वहां अपना टारगेट बनाने के लिए मोर्चा संभाल लिया गया।
कार की रोशनी देख जंगल में जा घुसा
शाम 6:30 बजे गुलदार जंगल से बाहर आया। गुलदार को शूट करने के लिए टीम तैयार थी। इसी दौरान एक कार वहां से गुजरी उसकी लाइट देखकर आदमखोर गुलदार फिर से जंगल में चला गया। इसके बाद सेक्टर 4 की ओर आने की कोशिश की, लेकिन टीम ने उसके प्रयासों को हतोत्साहित किया। टीम ने उसे पश्चिमी फाउंड्री गेट की तरफ बाहर निकलने के लिए मजबूर किया जहां शूटर टीम मौजूद थी। जानवर लगभग 7:50 बजे बाहर आया, और उसे तुरंत गोली मार दी गई। कुछ ही देर में गुलदार ने दम तोड़ दिया।