नवीन चौहान
एसएसपी जन्मेजय खंडूरी की पहल पर हरिद्वार के दर्जनों पीडि़तों की सुनवाई हो पाई। पीडि़तों की शिकायत पर नगर कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया तो धोखाधड़ी के खेल का पर्दाफाश हुआ। आरोपी बाप बेटे को पुलिस ने गिरफ्तार किया जबकि बैंक मैनेजर की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है। वही पीडि़तों ने अब मीडिया से इंसाफ दिलाने की गुहार लगाई है। बैंक रिकवरी के नोटिस से परेशान पीडि़त आरबीआई की ऑडिट रिपोर्ट दिए जाने की मांग कर रहे है। पीडि़तों का कहना है कि बैंक मैनेजर की करतूत आरबीआई की रिपोर्ट में ही स्पष्ट हो पायेगी। जिसके बाद ही उनको बैंक कर्ज से मुक्ति मिल सकती है। हालांकि इस प्रकरण में कई पीडि़तों को तहसील जेल की सजा तक भुगतनी पड़ी है।
इलाहाबाद बैंक और यूनाईटेड ऑटो गैरेज की मिलीभगत के चलते धोखाधड़ी का शिकार हुए करीब एक दर्जन पीडि़तों ने प्रेस क्लब पहुंचकर पत्रकारों से अपनी आपबीती सुनाई। पीडि़त मनोज शेखावत,करण भाटिया, शशी रंजन ठाकुर, संदीप कुमार, पुरूषोत्तम धीमान, करण महेंदू, गौरव राजकुमार, हरि शंकर, संदीप सैनी व विद्या ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर बताया कि सभी लोग इलाहाबाद बैंक के तत्कालीन मैनेजर संजय गुप्ता और यूनाईटेड आटो गैरेज के मालिक गगन देशवाल व प्रणव देशवाल की धोखाधड़ी के चलते मुसीबत में बुरी तरह से फंस चुके है। बैंक कर्ज के लिए नोटिस पर नोटिस दिए जा रहा है। जबकि लोन की राशि चुकता करने के बाद भी मुसीबत से छुटकारा नही मिल पा रहा है।
इस तरह हुआ लोन घोटाला
पीडि़त मनोज शेखावत ने बताया कि उसने एक सोनालिका स्ट्रीम वाहन खरीदने हुए यूनाईटेड ऑटो गैरेज के मालिक गगन देशवाल व प्रणव देशवाल से मुलाकात की। उक्त लोगों ने कार दिखाई और वाहन की तमाम खूबियां गिनाई। जिसके बाद उनकी बातों पर भरोसा करते हुए वाहन खरीदने की शर्तो की जानकारी की। गैरेज मालिक ने वाहन की कीमत पांच लाख 52 हजार बताई और इलाहाबाद बैंक से लोन कराने और एआरटीओ में पंजीकृत कराने की बात कही। गैरेज मालिक की बातों पर भरोसा करते हुए 5 जनवरी 2016 को डाउन पैमेंट के तौर पर दो लाख की रकम जमा करा दी। वाहन का रजिस्टेªन नंबर यूके 08 टीए 5524 मिल गया। वाहन को खरीदने के दौरान कुछ हस्ताक्षर युक्त ब्लैंक चैक भी एजेंसी को दिए गए। जिसके बाद वह बैंक का लोन के एवज में करीब 7 लाख का भुगतान अलग-अलग किस्तों के रूप में कर चुका है। लेकिन तत्कालीन बैंक मैनेजर संजय गुप्ता का स्थानांतरण होने के बाद नए बैंक मैनेजर ने बताया कि आपका लोन बहुत ज्यादा है। जब पूरे लोन खाते को खंगाला गया तो ठगी होने का एहसास हुआ। बैंक से लोन के कागजात निकाले तो पता चला कि हमको कम कीमत का वाहन दिखाकर टॉप मॉडल का लोन एजेंसी ने हासिल कर लिया। पता चला कि जो वाहन खरीदा वह करीब सात लाख का था। जबकि लोन की राशि टॉप मॉडल की करीब साढ़े दस लाख की है। जिसके दो लाख रूपये डाउन पैमेंट जमा कराने के बाद करीब साढ़े आठ लाख का लोन दिया गया है। इस धोखाधड़ी के उजागर होने के बाद एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को शिकायत दर्ज कराई गई। एसएसपी के संज्ञान लेने के बाद आरोपियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है।
कई पीडि़तों की कट गई आरसी
लोन चुकता नही कर पाने के चलते कई पीडि़तों को बैंक नोटिस मिलने के बाद तहसील प्रशासन की हवालात में रहना पड़ा। पीडि़तों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उन्होंने लोन से ज्यादा की रकम जमा कर दी है। इसके बावजूद तहसील से उनकी आरसी काट दी गई। बैंक के खाते के मुताबिक लाखों का लोन बकाया है। जिसके चलते उनको हवालात में रहना पड़ा।