नवीन चौहान
लालढांग क्षेत्र में ग्रामीणों की समस्याओं को देखने पहुंचे डीएम सी रविशंकर की सादगी और विनम्रता को देखकर ग्रामीणों की आंखों में उम्मीद की किरण दिखाई दी। ग्रामीणों की आंखों में अधूरे सपने पूरे होने की चमक दिखी। अशिक्षित ग्रामीणों ने पहली बार बड़े साहब को अपने घर पर देखा तो लगा कि अच्छे दिन आने वाले है। अब उनको परेशान नही होना पड़ेगा। प्रशासनिक अधिकारियों और पटवारियों से फटकार नही खानी होगी।
जिलाधिकारी सी रविशंकर के लालढांग क्षेत्र के ग्रामीणों की तमाम समस्याओं को दूर करने के मजबूत इरादे देखकर प्रशासनिक अधिकारियों की हालत खराब हो गई है। प्रशासनिक अधिकारी सकते में है। आखिरकार डीएम साहब का लालढांग में दौरा हो रहा है। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने कभी खुद इन ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने की पहल नही की। सबसे बड़ी बात ये रही कि ग्रामीणों ने बेखौफ होकर अपनी समस्याये तो बताई लेकिन किसी प्रशासनिक अधिकारी की तारीफ नही की। हद तो तब हो गई जब ग्रामीणों ने आवास योजना के नाम पर वसूली करने तक की बात सार्वजनिक कर दी।
डीएम के दौरे की कुछ खास बाते
क्षेत्र के ग्रामीणों ने पहली बार बड़ी विनम्रता से घर— घर जाते DM साहब को देखा। क्षेत्र की महिलाओं ने जब डीएम को बताया कि किसी भी महिला का जाति प्रमाण पत्र नही बना है। तो डीएम ने तहसीलदार, कानूनगो और पटवारी को फटकार लगाई। डीएम सी रविशंकर ने उक्त अधिकारियों को आदेश दिया कि आदर्श ग्राम में लोगों के काम सरकार उनके द्वार के सिद्धांत पर होंगे।
राशन कार्ड पर नही मिलता राशन
डीएम को एक महिला ने यह शिकायत बताई कि राशन कार्ड पर राशन नहीं मिलता है। इस पर डीएम ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए ग्रामीणों को पारदर्शिता से राशन दिलाने के निर्देश दिए।
डीएम को देखकर अधिकारियों को चेहरा पीला
अपनी लापरवाही और गैर जिम्मेदारी की पोल खुलती देख प्रशासनिक अधिकारियों के चेहरों का रंग पीला पड़ रहा था। जिलाधिकारी उमस भरी गर्मी के बीच में ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने में मशगूल थे। डीएम साहब घर— घर जाकर शिकायत और समस्या जानने और उनको दूर करने की सोच रहे थे। लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों के हाथ— पैर काँप रहे थे।
पटवारी नही पहुंचा वहां पहुंच गए डीएम
डीएम सी रविशंकर जब आर्य नगर का निरीक्षण करने पहुंचे। तो गाँव वालों को यह देख कर हैरानी भी थी कि जहां प्रधान और पटवारी के दर्शन भी सम्भव नही होते थे, आज इतनी गाड़ियों का क़ाफ़िला और डीएम साहब गांव में कैसे आ गए।