दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में फर्जी दस्तावेजों से तैयार किए वकील और शिक्षक




नवीन चौहान

प्रदेश के दलालों की पहुंच कितनी ऊपर तक है यह दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले से साफ हो गया। दलालों ने कागजों में ही फर्जी अधिवक्ता, वकील, इंजीनियर, फार्मेसी, आईटीआई और पॉलीटेक्निक और मैनेजमेंट के प्रोफेशनल तैयार कर दिए। जांच में यह पता चला कि जिन लोगों का प्रवेश इन प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में हुआ है, उनमें से कई अनपढ़ और कई पांचवीं से अधिक स्कूल का मुंह नहीं देख पाए।
दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। पहले चरण में प्रदेश के बाहर के संस्थानों की जांच चल रही है। 350 निजी संस्थानों में पढ़ने वाले जिले के करीब 4000 छात्रों का एसआईटी सत्यापन कर रही है। 2011 से 2015 के बीच छात्रवृत्ति लेने वाले करीब दो हजार छात्रों का सत्यापन हो चुका है। समाज कल्याण विभाग की ओर से चलने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अदर बैकवर्ड कास्ट और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को प्रोफेशनल कोर्स करने पर छात्रवृत्ति मिलती है।
बताते चले कि प्रोफेशनल कोर्स में अच्छी छात्रवृत्ति मिलती है। इस कारण दलालों ने कई क्षेत्रों में घूम के लोगों के दस्तावेज जमा किए। जिन लोगों के दस्तावेज छात्रवृत्ति के लगाए गए उनमें से कई अनपढ़ तो कुछ पांचवीं के बाद स्कूल ही नहीं गए। ऐसे लोगों को प्रवेश प्रोफेशनल कोर्स में कराया गया। प्रदेश के बाहर के कॉलेजों में इनका प्रवेश दिखाया गया और इनके नाम पर छात्रवृत्ति ली गई। बैंकों में छात्रों के नाम पर खोले गए खाते भी फर्जी मिले।
दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में अधिकतर छात्रों का दाखिला बीएड में दिखाया गया। सूत्रों की मानें तो इसके अलावा एलएलबी, बैचलर ऑफ होटल मैनेजमेंट, मास्टर ऑफ होटल मैनेजमेंट, मास्टर ऑफ एजुकेशन, बीबीए, फार्मेसी, पीजीडीएम, आईटीआई, पॉलीटेक्निक जैसे कोर्स में भी फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है।
एसआईटी ने शुक्रवार को भी दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में जसपुर के छात्रों का सत्यापन किया। टीम ने करीब 22 छात्रों का सत्यापन किया। जसपुर की टीम अब तक करीब 300 छात्रों का सत्यापन कर चुकी है।



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