नवीन चौहान
उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की परतें खुलनी शुरू हुई तो कॉलेज संचालकों के कारनामे भी उजागर होने लगे है। एससी—एसटी एवं पिछड़ा वर्ग के छात्र—छात्राओं को दी जाने वाली सरकारी सहायता अर्थात छात्रवृत्ति की रकम को डकारने के लिए कॉलेज प्रबंधकों ने फुलप्रूफ प्लान बनाया था। विभागीय जांच के दौरान कॉलेज मालिकों ने खुद को बचाने के लिए अपने कर्मचारियों की गर्दन को फंसाने की भी तैयारी की। मास्टर माइंड कॉलेज संचालकों ने घोटाले की रकम का ठींकरा कर्मचारियों के सिर पर फोड़ने की तैयारी की। लेकिन इन महाघोटालेबाज कॉलेज संचालकों की तमाम करतूतों को जल्द ही एसआईटी की टीम उजागर करेंगी। एसआईटी छात्रवृत्ति घोटाले के गोरखधंधे के खेल को अंजाम देने वाले मास्टर माइंड कॉलेज संचालकों को जेल की सलाखों के पीछे भेजेंगी।
उत्तराखंड में करीब 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच ने शिक्षा जगत के वातावरण में गर्माहट दी हुई है। हाईकोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी की टीम बड़ी तेजी के साथ जांच कर रही है। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी के दिशा निर्देशों पर जनपद हरिद्ववार और देहरादून के कॉलेजों की जांच की जा रही है। जबकि उत्तराखंड के अन्य 11 जिलों की जांच आईजी संजय गुंज्याल के निर्देशों पर गठित एसआईटी की टीम कर रही है। दिसंबर 2018 से चल रही छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में हरिद्वार जनपद के करीब 30 कॉलेजों पर मुकदमा हुआ और 17 कॉलेज प्रबंधकों की गिरफ्तारी हुई है। जबकि देहरादून के आठ कॉलेजों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। एसआईटी की टीम जांच कर रही है। लेकिन इन तमाम विवेचाओं के दौरान एसआईटी को एक के बार एक घोटाले को अंजाम देने के लिए बनाई गई प्लानिंग का खुलासा हुआ। एसआईटी की टीम को समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत, एडमिशन कराने वाले दलालों का कमीशन और तत्कालीन मंत्रियों की हिस्सेदारी तक की जानकारी हुई। इन तमाम जांच के दौरान एक बात को साफ हो गई कि कॉलेज संचालक घोटाले को एक व्यापार के तौर पर कर रहे थे। कॉलेज संचालक ने इस घोटाले से खुद को बचाकर रखने का ताना बाना भी बुना हुआ था। कुछ कॉलेजों की जांच में एसआईटी को पता चला कि कॉलेज संचालकों ने अपने कर्मचारियों को ही पूरी जिम्मेदारी देने की बात बताई है। जबकि ये बात एसआईटी के गले नही उतर रही है। आखिरकार छात्रवृत्ति की रकम का कॉलेज का कर्मचारी गबन कर ले और मालिक को पता ना हो इस बात का कौन यकीन करेंगा। अगर कर्मचारी छात्रवृत्ति की राशि का गबन कर रहा था तो कॉलेज मालिक की ओर से मुकदमा क्यो दर्ज नही कराया गया। ये तमाम सवाल मुंहबाये खड़े है। मास्टर माइंड कॉलेज मालिक कर्मचारी को फंसाने की रणनीति पर कार्य कर रहे है। ऐसे कृत्य एक दो नही कई कॉलेजों में सामने आए है। फिलहाल एसआईटी की टीम कॉलेज संचालकों की ही कुंडली खंगाल रही है। जिसके बाद सबूतों के आधार पर आरोपियों की गिरफ्तारी करेंगी।