मानवता है जिनकी पहचान ऐसे है रमेश भाई इंसान




-ठंड से ठिठुरते गरीबों को ओढाते है कंबल और चुपचाप चले जाते है
नवीन चौहान
मानवता इंसानियत की पहचान है। धरती पर वास्तविक इंसान वही है जिसके जहन में मानवता कूट-कूट कर भरी हो। मानवीयता का गुण ही भगवान की सच्ची पूजा है। हरिद्वार की धरती पर ऐसे ही एक इंसान से अपने पाठको का परिचय कराते है जो काम तो करते है, लेकिन किसी को बताते नही। रात के अंधेरे में सड़क किनारे ठंड से ठिठुरते गरीबों को कंबल ओढ़ाकर चुपचाप चले जाते है। ये सिलसिला कोई एक साल से नही अपितु दशकों से चला आ रहा है। गरीबों को कंबल देना ही नही कुष्ठ रोगियों के लिए कमरे, मंदिर और उनके बच्चों के लिए स्कूल तक की स्थापना की है। ऐसे महापुरूष को न्यूज 127 प्रणाम करता हैं।
गुजरात के पोरबंदर निवासी रमेश भाई ठक्कर हरिद्वार के निरंजनी अखाड़ा स्थित आर्य निवास आश्रम में करीब चार दशक पूर्व बतौर प्रबंधक के तौर आए थे। आर्य निवास की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के साथ-साथ रमेश भाई ने हरिद्वार के गरीबों और कुष्ठ रोगियों की सेवा का संकल्प किया। कुष्ठ रोगियों के लिए दवाई, भोजन और वस्त्रों को देने का सिलसिला शुरू किया। उन्होंने समाजसेवा का जो कार्य शुरू किया वो अनवरत चलता रहा। कुष्ठ रोगियों के उपचार में रमेश भाई का सहयोग हरिद्वार के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ संजय शाह ने किया। निजी संसाधनों से कुष्ठ रोगियों के लिए दवाईयों की व्यवस्था की। मानवीयता से पूरी तरह ओतप्रोत रमेश भाई ने किसी मीडियाकर्मी से फोटो कराने की जरूरत महसूस नही और ना ही कभी सरकारी सहयोग की अपेक्षा की। रमेश भाई का कुष्ठ रोगियों के लिए असीम प्रेम बढ़ता ही चला गया। कुष्ठ रोगियों के आवास के लिए 260 कमरों का निर्माण कराने से लेकर धार्मिक पूजा अनुष्ठान के लिए मंदिर की स्थापना कराई गई। कुष्ठ रोगियों के बच्चों के लिए एक स्कूल तक खोला गया। रमेश भाई ये सब काम बहुत ही गोपनीय तरीके से करते है। लेकिन चंडीघाट के समीप रहने वाले तमाम कुष्ठ रोगियों ने रमेश भाई को भगवान की संज्ञा देनी शुरू कर दी। वक्त के साथ-साथ रमेश भाई की मानवता बढ़ती चली गई। बीते दिनों कड़ाके की सर्दी के मौसम में रमेश भाई किराए की गाड़ी लेकर सड़क किनारे गरीबों को कंबल ओढ़ाने निकल पड़ते थे। दिसंबर और जनवरी के महीनों में रमेश भाई ने सैंकड़ों कंबल वितरित किए। हालांकि हरिद्वार के तमाम लोग रमेश भाई की इस मानवता के कायल भी है। इसी के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक कार्यक्रम में रमेश भाई ठक्कर को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया। हालांकि रमेश भाई को इस पुरस्कार के संबंध में कोई जानकारी नही थी। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसियों के काफी अनुग्रह के बाद ही वह हरीश रावत के मंच पर पहुंचे। न्यूज 127 रमेश भाई की इस मानवीय दृष्टिकोण के जज्बे को नमन करता है और उनके स्वस्थ रहने की कामना करता है।

दिखावटी लोगों को सबक
रमेश भाई से उन सभी लोगों को सबक लेना चाहिए जो अस्पताल में चार केले मरीजों को देकर फोटो प्रचारित करते है। खुद को मानवता का सबसे बड़ा इंसान दिखाने का दावा करते है। कहावत है कि दान एक हाथ से हो तो दूसरे हाथ को पता ना चलें। लेकिन वक्त बदल गया है कलयुग में एक दान हो तो चार अखबारों में फोटो होना जरूरी है।



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