निजी स्कूलों की फीस में होगी कमी, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ?




नवीन चौहान
डबल इंजन की सरकार के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय एक बार फिर सुर्खियों में छाए है। निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के उनके बयान के बाद प्रदेश के लाखों अभिभावक भी उनकी ओर टकटकी लगाए देख रहे है। जनता को उम्मीद है कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय जो काम अभी तक नही कर पाए है। हो सकता है इस बार कर दें। हालांकि इसकी उम्मीद कम ही नजर आ रही है। क्योकि पहले भी कई बार इस तरह के बयान जारी कर चुके है। जिनता नतीजा सिफर रहा है। शिक्षा मंत्री सरकारी स्कूल के मास्टरों को ड्रैस तक पहनाने में भी नाकामयाब रहे है। इसीलिए अगर वो फीस कम नही भी करा पाए तो कम से कम उनके इस बयान की सराहना तो की ही जानी चाहिए। आखिरकार उन्होंने निजी स्कूलों के खिलाफ मोर्चा खोलने का साहस तो दिखाया।Private schools’ fees will be reduced, education minister Arvind Pandey?
उत्तराखंड में अगर कोई मंत्री सबसे ज्यादा उत्साहित रहते है तो वो प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय है। अरविंद पांडेय उत्तराखंड के शिक्षा विभाग के मंत्री है। जिनके नेतृत्व में उत्तराखंड का शिक्षा विभाग बेहद तेज गति से आगे बढ़ रहा है। सरकारी स्कूलों की हालत बहुत सुंदर है। प्रदेश के सभी निजी स्कूल बंदी की कगार पर पहुंच रहे है। प्रदेश के अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए लालायित रहते है। सरकारी स्कूल में एडमिशन कराने को लेकर भाजपा नेताओं की सिफारिशें कराते है। वही दूसरी ओर शिक्षा मंत्री ने दो सालों के भीतर निजी ​स्कूलों के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला हुआ है। सभी निजी स्कूलों से कॉसन मनी को बंद करा दिया और एनसीईआरटी की पुस्तको को लागू करवा दिया। वही निजी स्कूल संचालकों की फीस बढ़ोत्तरी की मनमानी को रोकने के लिए भी वह अडिग है। इसीलिए उन्होंने निजी स्कूलों की फीस का निर्धारण करने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी की है। वह सभी निजी स्कूलों का परीक्षण कराने जा रहे है। जिसके बाद स्कूलों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ही निजी स्कूलों की फीस तय की जायेगी। वही निजी स्कूलों में कार्य करने वाले शिक्षकों के वेतन को लेकर भी प्लालिंग की है। जिसके बाद सबका विकास नजर आयेंगा। ऐसे में देखने वाली बात ये है शिक्षा मंत्री फीस कम कराने का कार्य इस सरकार के कार्यकाल में करा पाते है। या उनको अधिक वक्त चाहिए। क्योकि गत दो सालों से वह लगातार जनता को आश्वस्त करते आ रहे है कि निजी स्कूलों पर अंकुश लगाया जायेगा। उनके बयान कई बार अखबारों की सुखियां भी बने है। लेकिन हरबार जनता को निराशा ही हाथ लगी। ऐसे में कई बार तो अभिभावकों ने ये कहना भी शुरू कर दिया था कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को जगाना पड़ता है। काश मंत्री जी को नींद ना आए तो इस बार वह निजी स्कूलों की नाक में नकेल तो डाल ही देंगे। सरकार ने अगर ऐसा कारनामा कर दिखाया तो उत्तराखंड में सबसे अधिक लोकप्रिय मंत्री अरविंद पांडेय ही होंगे।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *