उत्तराखंड के लोगों की यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे प्रकाश पंत




नवीन चौहान:
उत्तराखंड की राजनीति में कभी ना भूलने वाले राजनेता वित्त मंत्री प्रकाश पंत उत्तराखंड की जनता के दिलों में सदैव जिंदा रहेंगे। उनकी मनमोहक मुस्कान और सादगी पूर्ण व्यवहार किसी को भी अपना बना लेती थी। गुस्सा उनसे कोसों दूर था। यही कारण था कि वह राजनीति में लगातार सीढ़िया चढ़ते जा रहे थे। प्रकाश पंत की सबसे खास बात ये थी वह राजनीति में किसी को गिराकर आगे नही बढ़ते थे। अपना रास्ता खुद बनाते थे और इन तमाम कार्यो के चलते जो सम्मान मिलता था, उसी में संतुष्ट रहते थे। वित्त मंत्री प्रकाश पंत खराब स्वास्थ्य होने के बावजूद उत्तराखंड की आर्थिक​ संकट को लेकर गहरी चिंता रखते थे। उत्तराखंड को कर्ज से उबारने के लिए चिंतन और समीक्षा करते रहे।
मूल रूप से गंगोलीहाट के चौढियार गांव निवासी प्रकाश पंत का जन्म 11 नवंबर 1960 को यूपी के लखीमपुर खीरी में हुआ था। पिता मोहन चंद्र पंत एसएसबी में कार्यरत थे जबकि माता कमला पंत कुशल गृहणी हैं। लेकिन भाजपा से जुड़े प्रकाश पंत अपनी सादगीपूर्ण छवि के चलते लगातार जनाधार बढ़ाते जा रहे थे। साल 2017 का विधानसभा चुनाव में प्रकाश पंत भारी वोटों से जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंचे। उनका कद पार्टी में ऊंचा था। समर्थकों में चर्चा तो उनके मुख्यमंत्री बनने की थी। लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली और प्रकाश पंत को वित्त,आबकारी समेत कई विभागों का मंत्री बनाया गया। प्रकाश पंत ने वित्त ​मंत्रालय संभाला तो उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय थी। करीब 44 हजार करोड़ का कर्ज प्रदेश पर था। इस बात की चिंता खुद प्रकाश पंत ने बातचीत की दौरान की थी। दैनिक उत्तराखंड प्रहरी से बातचीत के दौरान प्रकाश पंत ने बताया कि राज्य की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही है। प्रदेश में कर्ज का बोझ है। वह आय के स्रोत्र बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। राज्य में खर्च में कटौती की व्यवस्था बनाई गई है। हालांकि राज्य की आर्थिक स्थिति पर बात करने के दौरान उनके चेहरे पर चिंता साफ दिखाई पड़ती थी। सबसे बड़ी बात ये है कि प्रकाश पंत खुद सादगी की मिशाल रहे। उनका शानदार निर्विवाद व्यक्तित्व हमेशा लोगों को उनकी याद दिलाता रहेगा।

प्रकाश पंत का एक अलग व्यक्तित्व
प्रकाश पंत की प्राथमिक शिक्षा 1975 में हाईस्कूल और 1977 में मिशन इंटर कालेज पिथौरागढ़ से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। पिथौरागढ़ के एक पीजी कालेज में प्रवेश लिया। जहां पर उन्होंने सैन्य विज्ञान परिषद में महासचिव चुने जाने के साथ ही राजनीति में कदम बढ़ाए। बीए करने के बाद 1980 में द्वाराहाट राजकीय पालीटेक्निक से फार्मेसी से डिप्लोमा प्राप्त किया। वर्तमान में नगर के खड़कोट में उनका आवास है।
फार्मेसिस्ट की नौकरी पर रहे कार्यरत
उत्तराखंड के वित्त मंत्री का कार्यभाल संभालने वाल प्रकाश पंत ने अपने जीवन की पहली नौकरी की शुरुआत राजकीय सेवा से की थी। चार मार्च 1981 को नगर के निकट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय देवत में फार्मेसिस्ट पद पर उनकी नियुक्ति हुई। सरकारी सेवा के साथ-साथ वह समाज सेवा के कार्यो में सक्रिय हो गए। करीब चार वर्ष बाद 1984 में उन्होंने सरकारी सेवा से त्यागपत्र दे दिया। सेवा के दौरान डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के जरिये राजनीति में दखल रखने से सक्रिय राजनीति में उनकी एंट्री हो गई। हालांकि राजनी​ति के साथ—साथ रोजगार के लिए गांधी चौक में उन्होंने पंत मेडिकल स्टोर खोलकर अपना काम शुरू किया।
धरातल से उठे और सत्ता की कुर्सी पर बैठे
उत्तराखंड के वित्त मंत्री रहे प्रकाश पंत ने सियासत में अपना पहला कदम एक कार्यकर्ता के तौर पर ही बढ़ाया। प्रकाश पंत के जीवन में पंडित दीनदयाल के एकात्मवाद का प्रभाव पढ़ा तो वह वर्ष 1984 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। अपने व्यवहार और कार्यक्षमता के चलते वह भाजपा के जिला महामंत्री बने। रामजन्म भूमि आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और जेल में रात गुजारी। वर्ष 1988 में नगरपालिका चुनाव में खड़कोट वार्ड से सभासद चुने गए। प्रकाश पंत भाजयुमो के जिलाध्यक्ष सहित प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी भी रहे।
पत्नी शिक्षिका
वित्त मंत्री रहे प्रकाश पंत का विवाह 26 मई 1989 को नगर के ही पांडेय गांव निवासी स्व. चंद्रबल्लभ पांडेय की पुत्री चंद्रा के साथ हुआ था। चंद्रा पेशे से अध्यापिका हैं। विवाह के बाद उनकी तीन संतानें नमिता, शुचिता और सौरभ हैं। बड़ी पुत्री नमिता सैनिक है और साल भर पूर्व उसकी शादी हुई है। जबकि छोटी पुत्री और पुत्र अभी पढ़ रहे हैं।

प्रकाश पंत की छवि लगातार निखरी
उत्तराखंड बनने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार में उन्हें विधानसभा अध्यक्ष का कार्यभार संभालने का मौका मिला। प्रकाश पंत भाजपा के कद्दावर नेता बन रहे थे। जनता के बीच उनकी लगातार गहरी पैठ हो चुकी थी। 2002 के विस चुनावों में उन्हें भाजपा ने पिथौरागढ़ से प्रत्याशी बनाया और पंत चुनाव जीत गए। 2007 में भी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीते। तब बीसी खंडूरी की सरकार में उन्हें पर्यटन, तीर्थाटन, धर्मस्व कार्य, संस्कृति , संसदीय कार्य, विधायी एवं पुर्नगठन मंत्री बनाया गया। वर्ष 2012 का चुनाव वह हारे परंतु 2017 का चुनाव फिर से जीते। तभी से वह वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल रहे थे। वित्त मंत्री प्रकाश पंत की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही थी और उनकी छवि निखरती जा रही थी।



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