नवीन चौहान
शिक्षा के माफियाओं पर पुलिस की गिद्धदृष्टि पैनी हो गई हैं। पुलिस इन मगरमच्छों का दबोचने के लिए सबूत जुटा रही है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि शिक्षा की दुकान खोलकर इन माफियाओं ने एक दशक के भीतर करोड़ों की धनराशि का गबन किया। आलीशान कोठियों से लेकर लग्जरी कारें खरीदी। इन माफियाओं ने समाज कल्याण विभाग की आंखों में धूल झोंककर गरीब छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि के खूब मजे किए। पुलिस अब इनके पीछे पड़ी है। छात्रवृत्ति घोटाले में पहली गिरफ्तारी होने के बाद हरिद्वार सहित उत्तराखंड के कई निजी कॉलेज प्रबंधकों की नीद उड़ गई है।
उत्तराखंड सरकार एससी-एसटी छात्र-छात्राओं को शिक्षित बनाने के लिए छात्रवृत्ति की राशि प्रदान करती है। लेकिन शिक्षा जगत के इन माफियाओं ने निजी कॉलेज खोलकर इस छात्रवृत्ति की राशि को हड़पने के तरीके खोज निकाले। करीब एक दशक के भीतर ही निजी कॉलेज प्रबंधकों ने आर्थिक तौर पर खूब तरक्की की। किराये के कमरे में मान्यता लेकर चलने वाले निजी कॉलेजों ने जमकर फर्जीबाड़ा किया। विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति को हड़पने के कई नए तरीके इजाद किए। निजी कॉलेज संचालकों का इन सबसे भी मन नही भरा तो इन्होंने फर्जी एडमिशन दिखाकर छात्रवृत्ति की राशि को गबन करना शुरू कर दिया। इस खेल में माहिर हो चुके शिक्षा के माफियाओं के हौसले बुलंदी पर पहुंचने लगे। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और उत्तराखंड की जीरो टालरेंस की सरकार ने इन माफियाओं पर नकेल कसनी शुरू कर दी। इससे पूर्व जागरूक जनता की ओर से हाईकोर्ट से इनकी जांच कराने के आदेश कराए गए। इसके बाद एसआईटी की टीम गठित हुई और फर्जीबाड़े की पोल खुली। कुल मिलाकर कहा जाए तो इन माफियाओं पर अब पुलिस की नजर है। जल्द ही कुछ सफेदपोश और बड़े कॉलेज संचालक पुलिस की गिरफ्त में नजर आयेंगे।