नवीन चौहान
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पौने पांच सालों में केंद्र की सत्ता पर काबिज रहने के दौरान भारत का मान बढ़ाया है। वही देश के गरीबों को सम्मान दिया है। मोदी की तमाम योजनाएं गरीबों के हितो को ध्यान में रखकर बनाई गई। मुद्रा योजना, र्स्टाटअप योजना, उज्जवला गैस योजना और अटल आयुष्मान योजना जनता के लिए कारगर साबित हुई। इन तमाम योजनाओं में गरीब तबके को लाभ पहुंचाने की मोदी की मंशा साफ दिखाई दी। ऐसे में विपक्षी पार्टियों में छटपटाहट होना लाजिमी भी है। आखिरकार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहे भ्रष्टाचार नामक जीव को नष्ट करना आसान नहीं है। यही कारण है कि देश के तमाम भ्रष्टाचारी एकजुट होने की तैयारी कर रहे है।
साल 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कई चुनौतियां बनी हुई थी। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार थी। सरकारी महमको से लेकर तमाम क्षेत्रों में भ्रष्टाचार पूरी तरह खून में प्रवाहित हो रहा था। इस भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए मोदी ने कमर कस ली। देश में नोटबंदी की और जीएसटी लागू की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों के आंकड़े एकत्रित कराए और उनपर नजर रखी जाने लगी। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो मोदी के इरादे साफ दिखाई देने लगे। भ्रष्टाचारियों की आंखों में मोदी के नाम का खौफ साफ झलकने लगा। लेकिन पीएम मोदी अपनी मुहिम को लेकर आगे बढ़ते रहे। मोदी की दूरदर्शिता का नजीजा ये रहा कि वर्तमान में देश का गरीब तबका राहत महसूस कर रहा है। जबकि भ्रष्टाचारी फड़फड़ा रहे है। मोदी को सत्ता की कुर्सी से हटाने के लिए तमाम भ्रष्टाचारी एकजुट हो गए है। इन सबके बीच पीएम मोदी अपनी साफ छवि और व्यक्तित्व को लेकर जनता के बीच है। 14 फरवरी 2019 को उत्तराखंड पहुंचे पीएम मोदी के विरोध करने के लिए कांग्रेस के पूर्व सीएम ने तो प्रधानमंत्री पद का भी सम्मान नहीं रखा। पूर्व सीएम ने चौकीदार चोर है के नारे लगवाकर जनता की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई। आखिरकार देश के प्रधानमंत्री पद की गरिमा का सम्मान तो बनता ही है। एक राजनैतिक विरोध अपनी जगह हो सकता है। लेकिन किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। ये भी जरूरी है। कांग्रेस का विरोध अपनी जगह ह,ै लेकिन भारत का गरीब तबका बेहद खुश है। इस बात को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मोदी ने गरीब वर्ग के लिए कई उल्लेखनीय कार्य किए है। यही कारण है कि मोदी के तिलिस्म को तोड़ना विपक्षी पार्टियों के लिए आसान नहीं होगा। आखिरकार एक साधारण घराने के व्यक्ति ने अपने गरीबी के अनुभव के आधार पर गरीब वर्ग के हितों के असाधारण काम किए है। इन काम का नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।