पीएम मोदी का आयुष्मान कार्ड लेकर एम्स के बाहर तड़पता रहा कैंसर पीड़ित




नवीन चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को गरीबों का सच्चा हितैषी बताते रहे है। गरीबों के लिए तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ देने का दावा करते है। गरीबों का मुफ्त इलाज, राशन पानी देने की बड़ी—बड़ी बात करते है। लेकिन हकीकत में मोदी की तमाम योजनाएं हकीकत में दम तोड़ती दिखाई पड़ती है। जब गरीब व्यक्ति अस्पताल के बाहर इलाज के लिए तड़प रहा होता है। ऐसे की एक घटना ऋषिकेश एम्स के बाहर की है जहां अटल आयुष्मान योजना का कार्ड लेकर एक मरीज सुक्का खुद को अस्पताल में भर्ती कराने की गुहार लगाता रहा। लेकिन किसी चिकित्सक का दिल नही पसीजा। वह तड़पता रहा। आखिरकार एक समाजसेवी महिला ने उसको हरिद्वार के निजी अस्पताल में दिखाया।

      

लेकिन वहां भी मरीज के साथ धोखा हुआ। फिलहाल गरीब मोदी का कार्ड हाथ में लेकर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।हरिद्वार जनपद के लालढांग पोस्ट मीठीबेरी गांव डांडियानवाला निवासी राम स्वरूप का पुत्र सुक्का गरीब किसान है। सुक्का विगत कुछ सालों से बीमार चल रहा है। चिकित्सकों से चैकअप कराने पर पता चला कि सुक्का को ब्लड कैंसर की गंभीर बीमारी है। इस बीमारी के चलते सुक्का की हालत काफी नाजुक बनी हुई है। सुक्का ने अपना इलाज कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अटल आयुष्मान योजना का कार्ड भी बनवाया हुआ है। इसी कार्ड को लेकर सुक्का और उसका परिवार 9 सितंबर को एम्स पहुंचा। लेकिन चिकित्सकों ने उसे अस्पताल में भर्ती नही किया। सुक्का और उसका परिवार अटल आयुष्मान कार्ड की दुहाई देता रहा लेकिन चिकित्सकों ने उसे भर्ती नही किया। जिसके बाद लालढांग क्षेत्र में गरीब परिवारों की सेवा करने वाली समाजसेवी श्रुति लखेड़ा ने किसी तरह हरिद्वार के एक निजी अस्पताल में लेकर गई।

जहां अस्पताल प्रबंधकों ने इस बीमारी का चिकित्सक नही होने के बावजूद पूरा दिन मरीज को परेशान रखा और पैंसे बनाए। सुक्का और उसका परिवार बेहद परेशान है। सुक्का का इलाज कराने के लिए अब पैतृक संपत्ति को बेचने के अलावा कोई रास्ता नही बचा है। वही दूसरी ओर सुक्का को देहरादून के निजी अस्पताल में भर्ती कराने के सिवा कोई दूसरा उपाय नही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अटल आयुष्मान कार्ड का गरीब जनता को किस प्रकार लाभ मिल पायेगा ये बात गरीबों के समझ से परे है। पीएम मोदी की मुफ्त इलाज की योजना महज एक मजाक बनकर रह गई है। गरीब अस्पताल के बाहर तड़पते रहेंगे। गरीबों के नाम पर बने एम्स अस्पतालों में अमीरजादे सेहत दुरस्त करते रहेंगे।



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