पतंजलि का दावा: खोज निकाली विश्वव्यापी महामारी कोरोना की आयुर्वेदिक दवा




  • कोरोना के उपचार के लिए विश्व में आयुर्वेदिक औषधियों का पहला सफल क्लिनिकल ट्रायल तथा क्लिनिकल केस स्टडी पतंजलि ने की : पूज्य स्वामी जी महाराज
  • कोरोना की लाक्षणिक एवं संस्थानिक चिकित्सा से लेकर रोगी की व्याधिक्षमत्व बढ़ाने में प्रामाणिक व वैज्ञानिक रूप से महत्त्वपूर्ण औषधि है ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’: श्रद्धेय आचार्य जी
  • स्वामी जी ने की लोगों से अपील- कोरोना से न डरें, 7 दिन धीरज धरें।
  • कोराना रोगी हुए 3 से 7 दिन में निगेटिव, एक भी रोगी की नहीं हुई मृत्यु

नवीन चौहान
हरिद्वार। विश्वव्यापी महामारी कोरोना की बहुप्रतिक्षित दवा बनाने का चुनौतिपूर्ण कार्य सर्वप्रथम पतंजलि ने पूर्ण किया। इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के सैकड़ों वैज्ञानिकों ने अहर्निश अथक पुरुषार्थ करके पहले क्लिनिकल केस स्टडी तथा बाद में कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल करके, औषधि अनुसंधान (Drug Discovery) के सभी प्रोटोकॉल्स का अनुपालन करते हुए कोरोना की सम्पूर्ण आयुर्वेदिक औषधि ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’ की खोज की है।

औषधि कोरोना संक्रमण से बचाव तथा इसके उपचार दोनों में लाभकारी
बाबा रामदेव ने कहा कि जिस कोरोना की औषधि पूरा विश्व खोज रहा है, वह हमारे आसपास मौजूद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में अकूत मात्र में उपलब्ध है। अन्तर केवल इसके ज्ञान का है। स्वामी जी ने कहा कि यह औषधि कोरोना संक्रमण से बचाव तथा इसके उपचार दोनों में लाभकारी है। उन्होंने कहा कि हमनें दिव्य श्वासारि वटी, पतंजलि गिलोय घनवटी, पतंजलि तुलसी घनवटी एवं पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल की संयुक्त एवं उचित मात्रओं तथा दिव्य अणु तैल के सहयोग से कोरोना को परास्त किया है। इन्हीं गुणकारी औषधियों के घनसत्व के संमिश्रण से कोरोना महामारी की औषधि ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’ तैयार की गई है।

100 कोरोना संक्रमित मरीजों पर किया गया क्लिनिकल ट्रायल
स्वामी जी ने बताया कि हमनें इस दवा का रेंडमाइज्ड प्लेसिबो कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल 100 कोरोना संक्रमित रोगियों पर किया जिसमें 3 दिन में 69 प्रतिशत रोगी कोरोना नेगेटिव पाए गए जबकि 7 दिन में ही 100 प्रतिशत रोगी नेगेटिव हो गए तथा एक भी रोगी की मृत्यु नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यह कोरोना के उपचार के लिए विश्व में आयुर्वेदिक औषधियों का पहला सफल क्लिनिकल ट्रायल है। 100 प्रतिशत रिकवरी तथा 0 प्रतिशत मृत्यु दर प्रमाणित करती है कि कोरोना का उपचार आयुर्वेद में ही संभव है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि कोरोना से न डरें, 7 दिन धीरज धरें। प्रत्येक जिले, तहसील व ब्लॉक में पतंजलि स्टोर्स पर शीघ्र ही ये औषधियाँ उपलब्ध होंगी।

आचार्य बालकृष्ण ने बतायी दवा की विशेषता
इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि सम्पूर्ण देशवासियों का भरोसा तथा पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद है कि पतंजलि नित नए इतिहास गढ़ रहा है। आज एक ऐतिहासिक दिन है जब ऋषियों के प्राचीन ज्ञान को विज्ञान-सम्मत बनाने में हमनें सफलता हासिल की है। क्योंकि जब तक औषधि की प्रामाणिकता सर्वमान्य नहीं होती तब तक उसका आंकलन सही प्रकार से नहीं किया जाता। आचार्य जी ने बताया कि इन औषधियों में, अश्वगंधा में निहित शक्तिशाली कम्पाउण्ड विथेनॉन, गिलोय के मुख्य कंपोनेंट टिनोकॉर्डिसाइड, तुलसी में पाए जाने वाले स्कूटेलेरिन, तथा दिव्य श्वासारि वटी की अत्यंत प्रभावशाली जड़ी-बूटियों जैसेे- काकड़ाशृंगी (Pistacia integerrima), रुदंती (Cressa cretica), अकरकरा (Anacyclus pyrethrum) के साथ-साथ सैकड़ों फाइटोकैमिकल्स या फाइटो मेटाबोलाइट्स तथा अनेक प्रभावशाली खनिजों का वैज्ञानिक सम्मिश्रण है, जो कोरोना के लाक्षणिक (Symptomatic) एवं संस्थानिक (Systemic) चिकित्सा से लेकर रोगी की व्याधिक्षमत्व (Immunity) बढ़ाने में प्रामाणिक व वैज्ञानिक रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

देश के कई शहरों में की गई केस स्टडी
आचार्य बालकृष्ण ने भविष्य की रूपरेखा को समझाते हुए बताया कि इन औषधियों की साइंटिफिक रिसर्च के सन्दर्भ में इन्टरनेशनल रिसर्च जर्नल्स में रिसर्च पेपर के पब्लिकेशन की प्रक्रिया अभी चल रही है। आचार्य ने बताया कि इन औषधियों की क्लिनिकल केस स्टडी दिल्ली, अहमदाबाद और मेरठ आदि से लेकर देश के विभिन्न शहरों में की गई तथा रेंडमाइज्ड प्लेसिबो कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल (RCT) को National Institute of Medical Sciences & Research, NIMS University, Rajasthan, Jaipur के प्रो. (डॉ.) बलवीर एस. तोमर के नेतृत्व में किया गया। जिसके लिए इंस्टीट्यूश्नल एथिक्स कमेटी के अप्रूवल से लेकर CTRI (Clinical Trial Registry of India) के रजिस्ट्रेशन आदि तथा क्लिनिकल कन्ट्रोल ट्रायल की सभी अर्हताएं पूर्ण की गईं।

आयुर्वेद हमारे ऋषियों की अमूल्य देन
कार्यक्रम में National Institute of Medical Sciences & Research, NIMS University, Rajasthan, Jaipur के डॉयरेक्टर व चेयरमैन प्रो. (डॉ.) बलवीर तोमर ने कहा कि आयुर्वेद हमारे पूर्वज ऋषियों की अमूल्य देन है। हमारे वेद, पुराण, महर्षि चरक तथा महर्षि सुश्रुत की संहिताएँ पूर्णतः वैज्ञानिक हैं। किन्तु एविडेंस उपलब्ध न होने के कारण यह एलोपैथ से पिछड़ गया था। पतंजलि आयुर्वेद को पूर्ण प्रामाणिकता उपलब्ध कराने हेतु संकल्पबद्ध है और हम इसके सहभागी बनने में गौरव अनुभव करते हैं।

बाबा रामदेव ने इनको दिया खोज का श्रेय
योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज ने इस सम्पूर्ण खोज का श्रेय श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण महाराज, निम्स विश्वविद्यालय (NIMS University) जयपुर के डॉयरेक्टर प्रो. (डॉ.) बलवीर तोमर व उनकी पूरी टीम, पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय तथा उनके दिशानिर्देशन में कार्यरत वैज्ञानिकों को दिया। कार्यक्रम में निम्स विश्वविद्यालय (NIMS University) के प्रोफेसर और मेडिसिन प्रमुख डॉ. जी. देवपुरा, डॉ. दीपक, डॉ. संदीप त्रिपाठी, पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय आदि उपस्थित रहे।



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