नवीन चौहान, हरिद्वार। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय की मुहिम रंग लाई तो आने वाले दिनों में निजी स्कूलों में शिक्षा को लेकर किये जा रहे दावों की हकीकत जानने के लिए निरीक्षण ज्यादा होंगे। शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी स्कूलों में पढ़ायी जा रही किताबों के अलावा स्कूल के भवन और फीस की जानकारी के अलावा दी जा रही सुविधाओं का भौतिक निरीक्षण करेंगे। ऐसे में निजी स्कूल के संचालक भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को खुश करने पर ज्यादा फोकस करेंगे। वहीं ऐसी स्थिति में स्कूलों में बार—बार निरीक्षण से पढ़ायी प्रभावित होने की आशंका जतायी जा रही है।
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बीते दिनों निजी स्कूलों की मनमर्जी फीस बढोत्तरी को रोकने की इच्छा जाहिर करते हुए उनको फीस के ढांचे को स्कूल की सुविधाओं के अनुरूप करने की बात कही थी। हालांकि उनकी ये बात काफी हद तक ठीक भी है कि निजी स्कूल बहुत अधिक फीस वसूली कर रहे है। जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय अभिभावकों को अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना बहुत कष्टकारक हो रहा है। ऐसे अभिभावकों के लिए शिक्षा मंत्री का बयान बहुत ही राहत देने वाला हो सकता है। लेकिन अगर हकीकत की बात करें तो सरकारी तंत्र का निजी स्कूल के प्रबंधन में दखल शिक्षा को प्रभावित नहीं करेगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का आए दिन निजी स्कूल में निरीक्षण करना और उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाना ठीक रहेगा। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की आए दिन की निजी स्कूलों में दखल एक व्यवस्था को चरमराने जैसी नहीं होगी। निजी स्कूलों का सिस्टम पूरी तरह से प्रभावित होगा और बच्चों की पढ़ाई से मन भी हटेगा।