उत्तराखंड पुलिस से उलझने की नहीं बस समझने की जरूरत




गगन नामदेव
जनता की सुरक्षा में सड़कों पर तैनात रहने वाली पुलिस से उलझने की नहीं समझने की जरूरत है। पुलिस आपकी सेवा में ही सड़कों पर रहती है। आसमान से आग बरसाती धूप, सर्दी, बारिश और लू के थपेड़ों के बीच भी पुलिस के जवानों के कदम कभी नही डगमगाते। पुलिस अपने डयूटी प्वाइंट को छोड़कर कभी इधर—उधर नही भागती। अपने परिवार से कोसों दूर रहकर भी पुलिस के जवान क्षेत्र की जनता को ही अपना परिवार मानते है। लेकिन इसी जनता के कुछ लोग मामूली सी बात को तूल देकर इस तरह समाज में पेश करते है मानों पुलिस आपसे उलझने के लिए सड़कों पर खड़ी है। लेकिन हकीकत ये ही कि 12 घंटे की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के फर्ज को अदा करने वाली पुलिस आपके लिए ही खड़ी है। उनकी मनोस्थिति को ध्यान में रखते हुए अगर आप पुलिसकर्मी से बात करेंगे तो शायद उनके सम्मान में आपकी आंखों में नम्रता दिखाई देंगी।
मानवीय संवेदनाओं के मामले में उत्तराखंड पुलिस का कोई सानी नही है। करीब दो दशक के भीतर उत्तराखंड पुलिस ने अपनी एक अलग छवि पेश की है। उत्तराखंड पुलिस के आचरण और व्यवहार की सराहना पूरे देश में की जाती है। यही कारण है कि उत्तराखंड पुलिस को कई अवार्ड से सम्मानित तक किया जा चुका है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में उत्तराखंड पुलिस को बेहतर पुलिस आंका गया है। पुलिस जनता से नजदीकियां बनाकर उनकी समस्याओं को दूर करने में माहिर है। पुलिस के जवान डयूटी के दौरान मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए पीड़ितों की समस्याओं का निस्तारण करते है। जनता की सेवा करने के दौरान कई बार फर्ज से इतर होकर भी जिम्मेदारी का निर्वहन करते है। कर्तव्य परायणता के मामले में भी उत्तराखंड पुलिस सर्वश्रेष्ठ साबित हुई है। बीते डेढ़ दशक के भीतर उत्तराखंड पुलिस की छवि में निखार और परिपक्वता की झलक दिखाई है। वर्तमान पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी, पुलिस उप महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार ने उत्तराखंड पुलिस की छवि को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किए और मानवीय संवेदनाओं को जगाकर जिम्मेदार पुलिस बनाया। इन दोनों अफसरों की मेहनत की नतीजा ये रहा कि कोरोना आपदा में उत्तराखंड पुलिस ने मित्रता, सेवा और सुरक्षा के स्लोगन को चरितार्थ किया। अगर हरिद्वार जनपद की बात करें तो एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज के कुशल मार्गदर्शन में और एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर सिंह के नेतृत्व में हरिद्वार क्षेत्राधिकारी अभय प्रताप सिंह समेत सभी पुलिस अफसरों, कोतवाली प्रभारियों, थानेदारों और एक—एक पुलिस के जवान ने अपने फर्ज को बखूवी अंजाम दिया। कोरोना संक्रमण काल में अपनी जिंदगी की परवाह किये बगैर सभी ने जनता की पूरी सेवा की। गरीबों को भोजन, कपड़ा, राशन, दवाई और उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था की। हरिद्वार पुलिस प्रशासन ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर जनता के दिलों को जीत लिया। आखिरकार जनता के लिए इतना सबकुछ करने वाली पुलिस से विवाद की वजह कौन सी बनती है। ये बात ​आसानी से गले नही उतरती है। पुलिस से टकराव होने के कौन से कारण बन जाते है। आखिरकार पुलिस को समझना क्यो नही चाहते है। दिन भर वर्दी पहनकर जनता को सुरक्षा का बोध कराने वाली खाकी फसादी क्यो नजर आने लगती है। बस यही बात समझने की जरूरत है। कोई भी पुलिस का जवान नही चाहता कि उसकी डयूटी प्वाइंट पर कोई विवाद हो। वहां की शांति व्यवस्था भंग हो। इसी के लिए कई बार पुलिस सख्ती बरतती है। पुलिस की ये सख्ती जनता को नागवार गुजरती है। यही जनता और पुलिस के सबसे बड़े टकराव की वजह बनती है। ऐसे में जनता को पुलिस के साथ नम्रता बरतनी चाहिए। बात सोचने और समझने की है। बस पुलिस को समझने की जरूरत है।



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