मोदी सरकार बेरोजगारी को थामने में नाकाम, कारोबार धड़ाम




नवीन चौहान
केंद्र की मोदी सरकार भले ही राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने की बात करती हो। देश की गरीब जनता को खुशहाली का सपना दिखाती हो। कैश लैश अर्थव्यवस्था बनाने की बात करती हो। लेकिन हकीकत यह है कि देश का युवा बेरोजगार हो रहा है। देश में कारोबार चौपट हो रहे है। व्यापारियों की हालत बद से बदतर हो चली है। कारोबार के सभी सेक्टर डूब रहे है। कारोबारी देश छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे है। ऐसे में मोदी के राम राज्य में एक सामान्य परिवारों के जीवन पर संकट आन खड़ा हुआ है। जबकि केंद्र की मोदी सरकार खुद अपनी की पीठ थपथपाकर खुशियां मना रही है। विपक्षी पार्टियों की जुबां पर ताला जड़ा है। जो नेता मुंह खोलने की कोशिश करता है उस नेता को उसकी पुरानी कमजोरी का भय दिखाया जा रहा है। मीडिया मौन है। देश आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ा हुआ है। ऐसे हालात में अगर मोदी सरकार ने कारोबारियों की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में ठोस कदम नही उठाए तो राम राज्य में जनता भूखमरी से मरेगी। मोदी सरकार के सामने कोई विकल्प नही होगा।
कोई भी देश तभी तरक्की कर सकता है जहां पर युवा रोजगार में हो। लेकिन भारत में पिछले छह सालों की बात करें तो बेरोजगारी निरंतर बढ़ती जा रही है। सरकारी सिस्टम फेल हो रहे है। जबकि प्राइवेट सेक्टर की स्थिति चरमराई हुई है। साल 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज मोदी सरकार ने देश से भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की पहल शुरू की। नोटबंदी और जीएसटी लागू कर दी। नोटबंदी से तो देश को कोई फायदा नही हुआ। अलवत्ता जीएसटी से देश के राजस्व में इजाफा जरूर हुआ। लेकिन जीएसटी की कार्यप्रणाली से तंग आकर कुछ कारोबार जरूर बंद हो गए। लेकिन मोदी सरकार को कोई फर्क नही पड़ा। बंद होने वाले कारोबार की तादात बहुत कम थी। लेकिन साल 2019 तक पहुंचते—पहुंचते कारोबारियों की कमर टूट गई। प्रॉपर्टी कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया। बड़े—बड़े बिल्डरों की हालत पतली हो गई। उनके प्रोजेक्ट अधूरे रह गए। दिल्ली,मुंबई और तमाम बड़े शहरों में बिल्डरों को अपना काम समेटना पड़ा। बिल्डरों के यहां कार्य करने वाले कर्मचारी दूसरी कंपनियों में जुड़ना शुरू हो गए। लेकिन वो भी ज्यादा दिन नही चल सका। आटो सेक्टर की स्थिति चरमरा गई। मारूति सुजुकी जैसी नामी कंपनियां डूबने लगी। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। लेकिन मोदी सरकार को इन बेरोजगारों की कोई चिंता नही हुई। जब किसी की नौकरी छूटती है तो उस परिवार पर क्या गुजरती होगी। उनके परिवार में उस दिन खाना नही बनता होगा। अगली नौकरी कहां मिलेगी, कैसी मिलेगी ये तमाम सवाल दिमाग में घूम रहे होते है। लेकिन मोदी सरकार तो उपनी उपलब्धियों का जश्न मना रही है। देश के तमाम राज्यों में सरकार बन चुकी है। जहां नही बनी है वहां सरकार बनाने की तैयारी है।

मोदी जी आप ईमानदार है कोई शक नही। लेकिन इस देश की जनता भी बेइमान नही है। कारोबारी भी चोर नही है। बस इन कारोबारियों पर भरोसा करो। कारोबार करने के लिए सरकारी अधिकारियों की रिश्वतों को बंद करा दो। कारोबारियों को कारोबार करने के लिए मानक सुगम बना दो। ताकि लोगों को नौकरी भी मिले और अर्थव्यवस्था भी चलती रहे। देश में राम राज्य तभी कहा जा सकता है जब जनता खुशहाल होगी। इन जनता जनार्दन के बारे में गंभीरता से सोचो।

आंकड़ों के अनुसार अगर बात की जाए तो वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही। जबकि आंकड़ा 45 साल का न्यूनतम या अधिकतम 017 में भारत में 1 करोड़ 83 लाख लोग बेरोजगार थे। जबकि साल 2018 में बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 86 लाख हो गई है। साल 2017 के शुरुआती 4 महीनों को लेकर CMIE (Centre For Monitoring Indian Economy Pvt Ltd) ने सर्वे किया था जिसमें पाया गया था कि जनवरी से अप्रैल के बीच में करीबन 15 लाख लोगों ने नौकरी गंवाई है और बेरोजगारी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में मोदी सरकार को सोचना होगा कि युवाओं को रोजगार किस प्रकार मिलेगा।



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