पुरूष उत्पीड़न का शिकार महिलाओं को संबंल दे रही बिहार की विमला, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। पुरूषों की तुलना में महिलायें मानसिक और शारीरिक रूप से ज्यादा मजबूत होती है। महिलाओं में दुख सहने की क्षमता पुरूषों से ज्यादा होती है। विपरीत परिस्थितियों में महिलायें अपने दुख का रोना नहीं रोती। बल्कि खुद को साबित करने के लिये जिंदगी से संघर्ष करती है। भारत का इतिहास महिलाओं की गौरवगाथाओं से भरा पड़ा है। भारत की नारी आज भी इतिहास को दोहरा रही है।
न्यूज127डॉट कॉम आज एक ऐसी महिला की कहानी लिख रहा है जिसने अपनी मेहनत और संघर्ष से जिंदगी को दिशा दी है। इस महिला को सरकार से मदद की कोई दरकार नहीं है। सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से इसको कोई लेना देना नहीं है। बस अपनी जिंदगी में मेहनत से दो जून की रोटी कमाती है। उसमें से कुछ पैंसे बचाकर बेटी के रिश्ते को निभाती है। ये महिला कैंदुला देवी उर्फ विमला बिहार के एक छोटे से गांव चंडीथान रथौता जिला सहरसा की रहने वाली है। करीब 25 साल पूर्व विमला की शादी दुलारचंद्र यादव के साथ हुई। शादी के बाद एक बेटी हो गई। पति दुलारचंद यादव शराब पीकर विमला से मारपीट करता था। बेटी को रोटी के लाले पड़ गये। लेकिन अनपढ़ विमला ने हिम्मत नहीं हारी। विमला ने मजदूरी शुरू कर दी। बेटी को कक्षा पांच तक पढ़ाया। पति दुलारचंद्र का घर छोड़ दिया। करीब आठ साल पूर्व विमला हरिद्वार आ गई। हरिद्वार में मेहनत मजदूरी करने लगी। इस मजदूरी से जो रकम इकट्ठा की उससे बेटी की शादी कर दी। विमला ने कभी पति की तरफ पलट कर नहीं देखा। दुलारचंद्र ने भी अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया। विमला ने भी सरकार के आगे गरीबी का रोना नहीं रोया। बस मेहनत मजदूरी करना और 350 रूपये रोज की दिहाड़ी कमाना विमला की जिंदगी बन गई। इसी कमाई से विमला अपनी बेटी के फर्ज को पूरा करती है। विमला जैसी भारत में हजारों गरीब महिलायें है जो अपने पति की ज्यादतियों का शिकार होकर मजदूरी कर रही है। न्यॅूज127डॉट कॉम विमला के जज्बे को सेल्यूट करता है।



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