नवीन चौहान
महाराजा विक्रमादित्य की राजधानी में मां चौबीस खंबा नगर पूजा का आयोजन
भगवान महाकाल की नगरी व राजा विक्रमादित्य की राजधानी में चैत्र की अष्टमी तिथि पर श्री पंचायती निरंजनी अखाडा द्वारा नगर पूजा प्रारंभ की गई। शनिवार सुबह निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी जी महाराज ने मां चौबीस खंबा का पूजन कर नगर पूजा प्रारंभ की गईं। पूजा यात्रा में हजारों की सैकड़ों संत व हजारों की संख्या में आस्थावान श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। जिस स्थान से भी कलश यात्रा निकली वहां आम जनमानस ने यात्रा का भव्य स्वागत सत्कार किया।
चैत्र नवरात्र अष्टमी एवं रामनवमी के अवसर पर नगर पूजन में माता मंदिर पर मदिरा का भोग लगाया गया। परंपरा के अनुसार चौबीस खम्बा माता मंदिर में पूजा-अर्चना की गईं। पूजा अर्चना में श्री पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी सम्मिलित हुए। बता दें कि मां चौबीस खंबा माता मंदिर में पूर्व में यहां माता की पूजा राजा विक्रमादित्य करते थे। इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए शासन—प्रशासन के तमाम अधिकारियों व जिलाधिकारी एवं श्रीमहंत रविन्द्र पुरी द्वारा माता को मदिरा का भोग लगाया गया। जिसके बाद 27 किमी. तक शहर में मदिरा की धार चढ़ा कर अलग-अलग भैरव मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया गया।
विदित हो कि अष्टमी एवं चैत्र नवरात्र पर प्रशासन की ओर से होने वाली नगर पूजा अपने आप में अद्भुत होती है। वर्षों पुरानी परम्परा का आज भी उसी प्रकार से निर्वहन किया गया। पूजा का आकर्षण इतना है कि वर्षभर लोग इस पूजा की प्रतीक्षा करते हैं। माता चौबीस खंबा, भैरव व हनुमान मंदिर मिलाकर कुल 40 मंदिरों में यह पूजा होती है। पूजन में 25 बोतल मदिरा सहित 39 प्रकार की सामग्री उपयोग में लायी जाती है। पूजा की परम्परा में एक दर्जन कोटवार सहित 50 से अधिक कर्मचारी 12 घंटे में 17 किलोमीटर पैदल चलकर इस पूजा को संपन्न करते हैं। शनिवार को इस उत्सव का शुभारम्भ भव्यता पूर्वक हुआ। पूजा को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि महाराजा विक्रमादित्य की परम्परा का पालन आज तक होना गर्व की बात है। कहाकि महाकला की नगरी में इस प्रकार के आयोजन हमारी परम्परा और संस्कृति का अक्षुण्ण रखने में सहायक सिद्ध होते हैं। कहा कि हर कीमत पर अपनी संस्कृति और परम्परा की रक्षा की जानी चाहिए। रामनवमी पर उन्होंने अयोध्या में शीघ्र की श्रीराम मंदिर निर्माण होने की भगवान महाकाल और मां चौबीस खंबा से प्रार्थना की।