महंत रामानंद पुरी काले कारनामों का पूरा चिटठा, अब जायेंगें जेल




नवीन चौहान, 

हरिद्वार। निरंजनी अखाड़े से जुड़े जिस Mahant Ramanand Puri के नाम की कभी तूती बोलती थी अब उसकी आवाज बंद होने लगी है। अखाड़े की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के उनके काले कारनामे जगजाहिर होने लगे है। संत के चोले में मास्टर माइंड आरोपी Mahant Ramanand Puri ने अखाड़े की संपत्ति को ठिकाने लगाने का ताना बाना तो करीब डेढ़ दशक पूर्व ही बना लिया था। वह अपनी प्लानिंग में सफल भी हो रहा था। लेकिन निरंजनी अखाड़े के सच्चे संत Mahant Ravindra Puri को रामानंद पुरी के मंसूबों की भनक लग गई। उन्होंने अखाड़े की संपत्ति को बचाने का प्रयास किया और मुहिम शुरू कर दी। महंत रामानंद पुरी ने उनके खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करा दिया। लेकिन पुलिस की विवेचना के पहले ही चरण में आरोपी महंत रामानंद पुरी के काले कारनामों के चिट्ठे सामने आ गये। जिसके बाद विवेचनाधिकारी ने आरोपी महंत रामानंद पुरी के मुकदमे में आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 120बी की धाराओं में इजाफा कर दिया है। इन धाराओं के बढ़ जाने के बाद महंत रामानंद पुरी और उसके काले कारनामों में शामिल तमाम लोगों की मुसीबतें भी बढ़ गई है।
बतादे कि निरंजनी अखाड़े के संत Mahant Ramanand Puri ने साल 2005 में रामानंद इंस्ट्टीयूट के नाम से शिक्षण संस्थान खोलने की योजना बनाई। इस शिक्षण संस्थान खोलने के लिये एक जमीन को खरीदने का विचार अखाड़े में रखा। इस शिक्षण संस्थान को चलाने के लिये गुरू निरंजनदेव बेलफेयर के नाम से सोसायटी रजिस्टर्ड करा दी। इस शिक्षण संस्थान को खोलने के साथ ही महंत रामानंद पुरी ने अखाड़े से धोखाधड़ी करने की साजिश शुरू कर दी। महंत रामानंद पुरी स्वयं सोसायटी का अध्यक्ष बन गया। इंस्टीटयूट खोलने के लिये खरीदी जाने वाली जमीन के लिये पैंसा अखाड़े से लिया और जमीन की रजिस्ट्री सोसायटी के नाम ना कराकर महंत रामानंद पुरी ने अपने नाम पर कर ली। जब सोसायटी के अन्य पदाधिकारियों को पता चला तो इस रजिस्ट्री का शुद्धिकरण किया गया। इसके बाद जिला जज की अनुमति लेकर सोसायटी के नाम पर दो करोड़ का बैंक लोन करा लिया गया। इसके बाद शिक्षण संस्थान शुरू हो गया तो 722 छात्रों से फीस ली गई और रकम को सोसायटी के खातों में जमा नहीं कराया गया। इन कारनामों का पता किसी को नहीं चला तो महंत रामानंद पुरी के हौसले बुलंद होते चले गये। उसके सोसायटी में दीपक कुमार राव को डायरेक्टर नियुक्त कर दिया। शिक्षण संस्थान संचालित करने की अनुमति लेने के लिये यूनिवर्सिटी के लिये एआईसीटीआई के रजिस्ट्रार व अध्यक्ष के नाम पर एक 15 लाख की एफडी की जाने थी। लेकिन शातिर महंत रामानंद पुरी ने यहां पर भी खेल कर दिया और रामानंद ने बिना रजिस्ट्रार की अनुमति के उस एफडी पर 14 लाख का लोन लेकर वो रकम भी गायब कर दी। महंत रामानंद पुरी अपने कृत्यों में सफल हो रहा था। रामानंद के हौसले बुलंदी पर थे। जिसके बाद रामानंद ने सोसायटी के नाम पर कई बैंकों से लाखों की रकम का लोन लेकर उसका भी गबन कर दिया। तमाम जानकारी के बाद महंत रविन्द्र पुरी ने आरोपी रामानंद पुरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। इस मुकदमें में कई लोगों को नामजद किया गया। संत समाज से जुड़े इस मुकदमें की विवेचना एसआईएस शाखा को दी गयी। पुलिस सूत्रों से जानकारी मिली की विवेचना अधिकारी ने पीड़ित Mahant Ravindra Puri के बयान दर्ज किये। इसके बाद आरोपी महंत रामानंद पुरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया। पुलिस पूछताछ में रामानंद पुरी विवेचना अधिकारी के सवालों के जवाब देने में नाकाम रहे। तमाम सवालों पर उनकी चुप्पी रही। जिसके बाद विवेचना अधिकारी ने केस में कई गम्भीर धाराओं का इजाफा कर दिया।
Mahant Ramanand Puri ने पुलिस को भी दिया धोखा
रामानंद कितना शातिर दिमाग है इसका खुलासा उसके इस कृत्य से पता चलता है। बतादे कि किसी भी सोसायटी के रजिस्टेªशन के बाद सोसायटी के प्रस्ताव समय-समय पर रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा किये जाते है। लेकिन रामानंद ने यहां भी खेल कर दिया। उसने नगर कोतवाली में साल 2016 में फर्जी गुमशुदगी दर्ज करा दी। उसके लिये पुलिस में फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत किया। रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा किये जाने वाले दस्तावेजों में सीए, व सचिव रविंद्र पुरी व अन्य महंतों के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर एक फर्जी रिपोर्ट सब रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा करा दी। इस बात की भनक किसी को नहीं लगी।
फ्लैट के नाम पर भी किया गबन
आरोपी रामानंद पुरी ने सोसायटी के नाम पर एक फ्लैट दिल्ली के रोहिणी में लिया। इस फ्लैट की रजिस्ट्री साल 2012 में की गयी। जिसके बाद रामानन्द ने पीएनबी की अहमदपुर ब्रांच से लोन करा लिया। बैंक में बंधक फ्लैट को साल 2013 को रामानंद ने निर्मला देवी पत्नी राजबीर निवासी बहादुरगढ़, हरियाणा को बेच दिया। इस रजिस्ट्री में गवाह के तौर पर निर्मला का पति राजबीर और दीपक कुमार राव रहे। इसी के साथ रामानंद ने सोसायटी का 60 लाख का चैक निर्मला को दिया। यानि Mahant Ramanand Puri ने फ्लैट बेचने के साथ ही सोसायटी की 60 लाख की रकम निर्मला को दी।
जमीनों में खेल
साल 2010 में रामानंद पुरी ने जमीन खरीदने का एक इकरारनामा अब्दुल वाहिद पुत्र इरशाद निवासी इब्राहिमपुर के साथ किया। जमीन खरीदने के लिये अब्दुल वाहिद को 14 लाख और 25 लाख के चैक दे दिये लेकिन जमीन नहीं खरीदी और पैसा गायब कर दिया।

बैंकों से किया खेल
रामानंद ने साल 2010 में अब्दुल रज्जाक नाम के व्यक्ति की जमीन की रजिस्ट्री को पीएनबी गुरूद्वारा रोड की शाखा में गिरवी रखकर रामानंद इंस्टीटयूट के नाम पर लाखों का लोन ले लिया।
पैसों का खिलाड़ी Mahant Ramanand Puri
सोसायटी के पदाधिकारियों ने 7 नवम्बर 2017 को प्रस्ताव पास किया कि Mahant Ramanand Puri अपने हस्ताक्षर से कोई चैक जारी नहीं करेगा लेकिन उसके बाद आधार शिला कंस्ट्रक्शन के नाम पर 7.5 लाख का चैक जारी किया और भुगतान कर दिया।
अखबारों का भी किया उपयोग
रामानंद इंस्टीटयूट द्वारा अखबार में प्रकाशित कराया गया कि किसी व्यक्ति की कोई देनदारी है तो वह इंस्टीटयूट में सम्पर्क करे। इस विज्ञप्ति के प्रकाशन के बाद Mahant Ramanand Puri ने बालाजी ट्रेडर्स को 16 लाख, संदीप अग्रवाल को 2.5 लाख, कृष्ण कुमार को 10 लाख, अवधेश को 8 लाख, अब्दुल रज्जाक को 28 लाख, 6 लाख, 6 लाख, 5 लाख, 30 लाख के चैक दे दिए गए। जबकि कुछ पैसा दीपक की पत्नी मंजू देवी, निर्मला देवी के नाम भी भेजा गया।
डायरेक्टर दीपक का खेल
डायरेक्टर दीपक ने बिना किसी अधिकार के रामानंद सोसायटी के नाम से एक बैंक खाता एचडीएफसी बैंक में खोला गया और चैक बुक लेकर चैक दूसरे व्यक्तियों को जारी कर दिये गये। बाद में अखाड़े ने उक्त चैक वापस लेकर व्यक्तियों की रकम को लौटाया और साख बचायी। इसके अलावा दीपक ने 1 लाख 80 हजार की फीस यूनिवर्सिटी को भी जमा नहीं करायी।



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