नवीन चौहान, हरिद्वार। निकाय चुनाव में भाजपा मेयर की सीट हारने की प्रमुख वजह केबिनेट मंत्री मदन कौशिक के ही कुछ विश्वासपात्र नेता रहे है। मदन कौशिक के खास माने जाने वाले नेताओं ने ही पार्टी प्रत्याशी को हराने का कार्य किया। इस बात का अंदाजा खुद मेयर प्रत्याशी अन्नु कक्कड़ को मतदान से पूर्व महसूस होने लगा था। लेकिन मदन कौशिक का अतिआत्मविश्वास अपने खास लोगों पर बना हुआ था। इस कारण से मदन चुनाव हारने की बात को स्वीकार नहीं कर रहे थे। अब चूंकि भाजपा चुनाव हार गई तो समीक्षा के बाद तमाम बाते जगजाहिर हो गई। मदन कौशिक को भी अपने विश्वासपात्रों से करारा झटका लगा है।
हरिद्वार की सियासत के सबसे दमदार माने जाने वाले नेता मदन कौशिक ने निकाय चुनाव में पहली बार हार का सामना किया है। हरिद्वार की सियासत में अंगद के पैर की भांति मदन कौशिक का सिक्का चलता है। मदन चुनाव हार जाये ये बात जल्दी से किसी के गले नहीं उतरती है। इसी के चलते हरिद्वार मेयर प्रत्याशी का टिकट पार्टी से भी मदन कौशिक की मांग पर अन्नु कक्कड़ को दिया था। ये बात मदन के ही कुछ नजदीकियों को रास नहीं आई। उन्होंने टिकट वितरण के बाद मदन को कमजोर करने का कार्य शुरू कर दिया। खुद पार्टी के लोगों ने प्रत्याशी के खिलाफ गलत किया। मदन कौशिक अपने विश्वासपात्र लोगों के मंसूबों को भांपने में नाकाम रहे। मदन कौशिक अपने चुनावी मैनेजमेंट के भरोसे चुनाव प्रचार में जुटे रहे। वही उनके खास मित्र मदन को कमजोर करने का कार्य करते रहे। मदन ने पूरी प्लानिंग के तहत चुनाव प्रचार किया और उनके प्रयासों और मतदाताओं को रिझाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। लेकिन चुनाव परिणामों में भाजपा प्रत्याशी अन्नु कक्कड़ कांग्रेस प्रत्याशी अनिता शर्मा से करीब चार हजार वोट से चुनाव हार गई। चुनाव परिणामों की समीक्षा हुई तो मदन कौशिक को सबसे बड़ा झटका उनके ही विश्वसपात्रों के गढ़ से लगा। चुनाव के नजीजों ने मदन कौशिक की आंखे खोलकर रख दी। आखिरकार जिन लोगों पर मदन ने भरोसा किया उन्होंने ही चुनाव हराने का कार्य किया। इस चुनाव परिणाम के बाद मदन कौशिक ने अपनी रणनीति में परिवर्तन किया है। आसन्न लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत मदन कौशिक बहुत ही फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे है। हालांकि वह खुलकर बोलने से बच रहे है। लेकिन उन्होंने कई विश्वासपात्रों को पहचान जरूर लिया है।