चुनाव के दौरान नेताजी क्यो हो जाते है भावुक और दयावान




नवीन चौहान
चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि जरूरत से कुछ ज्यादा ही भावुक और दयावान दिखलाई पड़ते है। उनकी भाषा शैली में नम्रता होती है और एक आम आदमी का हर दर्द नेताओं को अपना सा दिखलाई पड़ता है। लेकिन इलेक्शन के बाद वो ही जनता पराई सी नजर आती है। जनता की शिकायतें सरकारी अधिकारियों की मेज पर धूंल फांकती है। जनप्रतिनिधियों के पास जनता की बात सुनने का वक्त नही होता। जनप्रतिनिधि भी कुछ अपने खास चहेतों के बीच ही घिरे रहते है। कुछ ऐसी ही शिकायत और टीस भारत के हर एक साधारण आम नागरिक के मन में चुनाव के दौरान दिखाई पड़ती है।
नेताओं के मन की बात तो जनता पूरे पांच साल सुनती हैं। लेकिन चुनावी वक्त है तो जनता जनार्दन की बात सबसे ऊपर होनी चाहिए। लोकतंत्र में जनता का अमूल्य वोट ही क्षेत्र का जनप्रतिनिधि का चयन करता है। जनप्रतिनिधि की बदौलत ही देश की सरकार का चयन होना है। लोकतंत्र में से ही परिपाटी है। ऐसे में लोकसभा चुनाव का दौर है। जनप्रतिनिधि जनता के दरवाजे पर पहुंच रहे है। जनता से वोट देने की मार्मिक अपील भी कर रहे है। कुछ रिश्ते बता रहे है तो परिवार का सदस्य होने का बोध करा रहे है। लेकिन जनता की बात सुनी जाए तो फिलहाल नेता बहुत दयावान हो गए है। गरीब के घर पर चाय से लेकर भोजन पानी और उनका हर दुख दर्द नेताओं को अपनेपन का एहसास करा रहा है। नेताओं की भाषा शैली ऐसी कि उनसे ज्यादा हितैषी शुभचिंतक दुनिया में अपना कोई दूसरा नही है। जनता नेताओं के इस बदले स्वरूप को देखकर चकित भी है और चटकारे भी ले रही है। जनता का मानना है कि नेताओं का व्यवहार चुनाव के दौरान बदल जाता है। जनप्रतिनिधि और जनता के बीच एक गहरा संबंध होता है। जनता का अपने जनप्रतिनिधि पर बहुत भरोसा होता है। इस भरोसे को कायम रखने की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधि की होती है। जब कोई प्रत्याशी चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि के तौर पर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है तो उसे उस वक्त ये एहसास होना चाहिए कि वो क्षेत्र की जनता का वोट रूपी एक भरोसा है। जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना उसकी जिम्मेदारी है। ऐसे में जनता की कसौटी पर खरा नही उतरने वाले जनप्रतिनिधियों को आलोचनाओं को सुनने की क्षमता भी रखनी चाहिए। फिलहाल लोकतंत्र का लोकसभा चुनाव सबसे बड़ा पर्व है। जनता जनार्दन को घर से निकलकर वोट करना है। जनता को भी अपनी जिम्मेदारी का पालन करना है। अधिक से अधिक मतदान करें। देश को एक मजबूत लोकतंत्र दें।



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