खाकी की शान थे जवाहर महान,देते रहेंगे प्रेरणा, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। उत्तराखंड पुलिस के ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर जवाहर सिंह राठौर की जिंदगी कैंसर ने लील ली। जवाहर सिंह राठौर अब हमारे बीच में नहीं है। लेकिन वो हमेशा उत्तराखंड की जनता के दिल में जिंदा रहेंगे। खाकी वर्दी पहनकर उन्होंने जिस ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से अपने फर्ज को पूरा किया इसके लिये जवाहर सिंह राठौर का नाम पुलिस महकमे में सदैव पूरे सम्मान के साथ याद किया जायेगा। उन्होंने अपनी अंतिम सांस लेने तक पुलिस महकमें का मान बढ़ाने का कार्य किया। जवाहर सिंह राठौर जिंदा दिल इंसान थे। मौत से कभी नहीं घबराने वाले जवाहर सिंह राठौर गरीबों के लिये मसीहा थे। करोड़पति और अरबपति आरोपी सेठ भी जवाहर सिंह राठौर के ईमान को डिगा ना सके। सच्चाई और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति रहे जवाहर सिंह राठौर ने खाकी वर्दी का जो मान बढ़ाने का कार्य किया इसके लिये उनका नाम सदैव ही खाकी के जवानों को प्रेरणा देता रहेगा।
उत्तराखंड के जौनसार इलाके के एक छोटे से गांव में जन्मंे जवाहर सिंह राठौर बतौर कांस्टेबल पुलिस महकमे में भर्ती हुये। जवाहर सिंह राठौर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। आईपीसी की तमाम धाराओं का उनको पूरा ज्ञान था। पुलिस महकमें की सेवा कार्यकाल में पदोन्नति पाकर जवाहर सिंह राठौर उप निरीक्षक बने। दारोगा बनने के बाद उन्होंने अपनी सभी विवेचनाओं को निष्पक्ष तरीके से पूरा किया। पुलिस विभाग के लोग बताते है कि जिन विवेचनाओं को जवाहर सिंह राठौर ने किया उस मुकदमंे में अपराधियों को कोर्ट ने सजा दी। वहीं दूसरी ओर जिस पीड़ित का नाम विवेचना से बाहर किया उसको कभी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा। जवाहर सिंह राठौर पर सत्ताधारी नेताओं, पुलिस अफसरों और विधायकों के किसी प्रकार के दबाव का कोई असर नहीं पड़ता था। जवाहर सिंह राठौर अपनी जांच रिपोर्ट में वहीं लिखते थे जो सच होता था। समय बीतने के साथ-साथ जवाहर सिंह राठौर का नाम एक ईमानदार उप निरीक्षक के रूप में विख्यात होने लगा। अपराधी तत्व और नेता अपने मुकदमांे की विवेचना जवाहर सिंह राठौर से कराने से घबराने लगते थे। पुलिस विभाग की ओर से एक और पदोन्नति मिली तो उनके कंधों पर तीन स्टार लगे। जवाहर सिंह राठौर हरिद्वार में एसआईएस प्रभारी के तौर पर कार्य कर रहे थे और हरिद्वार जनपद के गंभीर मुकदमों की विवेचना को निबटाने में लगे थे। कैंसर की गंभीर लाइलाज बीमारी से ग्रसित होने का प्रभाव उनके कार्यों पर नहीं पड़ा। पूरे मनोभाव से वह अपनी विवेचनाओं को पूरा करने में जुटे रहे। अभी हाल के दिनों में ही उन्होंने हरिद्वार के संत मंडलों के विवाद की विवेचना को निष्पक्षता से करने का कार्य किया। रामानंद इंस्टीटयूट प्रकरण में भी दूध का दूध और पानी का पानी किया। जवाहर सिंह राठौर कैंसर की बीमारी के बावजूद पूरी जिंदादिली से पुलिस महकमंे की सेवा करते रहे।
साल 2012 में कैंसर का पता चला
निरीक्षक जवाहर सिंह राठौर को पेट की बीमारी के दौरान जांच कराने पर कैंसर का पता चला। कैंसर गंभीर रूप में था। चिकित्सक जवाहर सिंह राठौर की हालत देखकर चिंतित होने लगे। लेकिन जवाहर सिंह राठौर ने हौंसला रखा और परिवार को भी धैर्य रखने को कहा। दिल्ली के नामी अस्पताल में उनको ले जाया गया। शरीर में खून की कमी आ गई। आप्रेशन करने वाले चिकित्सक परेशान थे। लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के जवाहर सिंह राठौर पूरी निडरता के साथ आप्रेशन कराने को तैयार थे। जवाहर की इच्छा शक्ति की जीत हुई और आप्रेशन सफल रहा। वह स्वस्थ होकर हरिद्वार आ गये और अपने कार्य में जुट गये। लेकिन कीमोथैरेपी के लिये दिल्ली जाते रहे।
कीमोथैरिपी में भी दिखाई हिम्मत
इंस्पेक्टर जवाहर सिंह राठौर को कीमोथैरिपी कराने में बहुत तकलीफ होती थी। उनको बहुत दर्द होता था। वह उस दर्द को सहते थे। कीमोथैरिपी कराने के दौरान उनकी भूख बंद होने लगी। वह बहुत कमजोर हो गये। चिकित्सकों ने भूख बढ़ाने की दवाई दी तो कुछ स्वास्थ्य में सुधार हुआ। हालांकि इस गंभीर बीमारी से जूझने के दौरान भी जवाहर सिंह राठौर की नियमित दिनदर्या में ऑफिस जाना और अपनी विवेचनाओं को पूरी ईमानदारी से निबटाना ही रहा।
जवाहर सिंह राठौर की खूबी
जवाहर सिंह राठौर के हरिद्वार जीआरपी प्रभारी रहने के दौरान एक वारदात हुई। सिडकुल में मजदूरी करने आये एक गरीब का नवजात बच्चा प्लेटफार्म से चोरी हो गया। ये बात जीआरपी प्रभारी जवाहर सिंह राठौर को पता चली। उन्होंने पुलिस की मदद से बच्चे को बरामद करने का प्रयास किया। लेकिन बच्चा नहीं मिला। पीड़ित से मुकदमा दर्ज कराने की बात कहीं तो पीड़ित घबरा गया। उसके पास रोटी खाने और पंपलेट छपवाने के पैंसे नहीं थे। तभी जवाहर सिंह राठौर ने पीड़ित परिजनों के लिये रहने और भोजन का इंतजाम किया। खुद अपने वेतन के पैंसों से पंपलेट छपवाये और मुकदमे की विवेचना को शुरू किया। तत्कालीन एसएसपी डॉ सदानंद दाते ने बच्चा चोर गैंग का खुलासा किया और उस मजदूर के बच्चे को भी उसके मां बाप के सुपुर्द किया। इस मुकदमें के दर्ज होने के बाद ही जनपद पुलिस को हरिद्वार में बच्चा चोर गैंग के सक्रिय होने की बात पता चली।
पेंचीदा केसों को सुलझाने में माहिर
निरीक्षक जवाहर सिंह राठौर ने ही पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में हुये सबसे चर्चित टैक्सी बिल घोटाले की विवेचना को पूरा किया। इस केस में कई लोगों के नाम चार्जशीट में दर्ज हुये। वहीं दूसरा सबसे बड़ा केस वाणिज्य कर विभाग के तत्कालीन ईमानदार कमिश्नर दिलीप जावलकर की जांच के बाद उत्तराखंड में फर्जी कंपनियों के द्वारा कर चोरी के खेल का पर्दाफाश हुआ। इस केस में मुकदमा दर्ज हुआ तो विवेचना जवाहर सिंह राठौर को मिली। जवाहर सिंह राठौर ने भी पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से विवेचना पूरी की और कई बड़े वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
दारोगाओं के गुरू थे राठौर
जवाहर सिंह राठौर उप निरीक्षकों के गुरू थे। एसआईएस शाखा में उनके सहयोगी के तौर पर कार्य करने वाले उप निरीक्षक जवाहर सिंह राठौर से कानूनी दांव पेंचों की बारीकियों को समझा करते थे। वह भी दरोगाओं को एक विद्यार्थी की तरह की समझाते थे। कैंसर की बीमारी की वजह से उन्होंने अपने जांच रिपोर्ट के परचे काटने के लिये एक कांस्टेबल को लगाया हुआ था। जवाहर सिंह राठौर बोलते रहते थे और कांस्टेबल लिखता रहता था। ये कांस्टेबल अब कानूनी दांव पेंच को पूरी तरह जान गया है।



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