अंतर्राष्ट्रीय कवयित्री गौरी मिश्रा के संघर्ष से सफलता का सफर




खिड़की से झांकते-झांकते सीख लिया संगीत
नवीन चौहान
सफलता किसी को एक दिन में नहीं मिलती है। सफलता पाने के लिए जिंदगी की तपिश में खुद को जलाना पड़ता है। सामाजिक विषम परिस्थितियों में खुद को महफूज रखकर अपनी प्रतिभा को साबित करना पड़ता है। तब जाकर मंजिल की ओर कदम बढ़ाये जाते है। ऐसे में अगर संघर्ष करने वाली एक औरत हो तो चुनौतियां कई गुना बढ़ जाती है। कई बार भरोसे टूटते हैं। विश्वास के रिश्तों में कई बार धोखा मिलता है। लेकिन अगर बहादुरी से इन तमाम चुनौतियों से लड़ा जाए तो सफलता आपके कदम चूमती है। कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तराखंड के हल्द्वानी की रहने वाली कवयित्री गौरी मिश्रा की। अंतर्राष्ट्रीय काव्य मंच पर अपनी प्रतिभा के जलबे बिखेर रही गौरी मिश्रा अपनी लेखनी और मधुर आवाज से आज साहित्य के क्षेत्र में बढ़ा मुकाम हासिल कर चुकी है। उनकी कविताओं और गीत को सुनने के लिए श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ती हैं। यही गौरी मिश्रा भारत की धरती की सुंगध लेकर विदेशों में बसे भारतीय के दिलों में देशभक्ति जगा रही हैं। इसी के साथ सामाजिक जीवन में उनको क्षति पहुंचाने वाले तथाकथित लोगों को करारा जबाव दे रही है।
एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाली गौरी मिश्रा की बचपन से ही साहित्य के क्षेत्र में रूचि थी। स्कूली दिनों से ही गौरी अपने नन्हे-नन्हे हाथों से कविता लिखने के शौक को पूरा करती थी। गौरी की कविताओं को सराहा जाता था। जिससे गौरी को प्रोत्साहन मिलता था। गौरी ने साहित्य के क्षेत्र में कैरियर बनाने की ठान ली। स्कूली मंचों से काव्य पाठ शुरू किया। साहित्य के क्षेत्र में गौरी को कोई गॉड फादर नहीं मिला। गौरी ने नदी के विपरीत दिशा में तैरने की ठान ली। कुछ दूर चली और चलती गई। बस गौरी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। गौरी को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक अवसर हल्द्वानी में ही मिला। इस प्रतियोगिता को जीतकर गौरी ने खिताब अपने नाम किया। इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने से गौरी के नाम को नई पहचान मिली। गौरी मिश्रा के नाम की ख्याति फैलने लगी तो साहित्य इंड्रस्टी में उनके चाहने वालों की कतार लग गई। गौरी ने यहां भी अपनी प्रतिभा का दिल खोलकर प्रदर्शन किया। अपनी खुबसूरत कविताओं से श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई। श्रोताओं की पहली पंसद गौरी मिश्रा बनने लगी। देश के विभिन्न काव्य मंचों पर गौरी की उपस्थिति कार्यक्रम की सफलता की कहानी गढ़ने लगी। भारत के नामचीन कवियों के साथ गौरी को काव्यपाठ करने का अवसर मिला। गौरी ने भी अपनी एक के बाद एक शानदार काव्य प्रस्तुतियों से सबको अपनी ओर आकर्षित किया। जिसका नतीजा ये रहा कि भारत की धरती के बाद अब विदेशों में भी गौरी के काव्यपाठ को सराहा जाने लगा। कवि सम्मेलनों के मंच पर गौरी मिश्रा एक बड़ा नाम बन गई। गौरी की सफलता से काव्य जगत के कुछ लोगों को परेशानी हुई। तो गौरी को नुकसान पहुंचाने के लिए फेक आईडी से उनके बारे में सोशल मीडिया पर अनगर्ल बातंे की जाने लगी। लेकिन गौरी मिश्रा ने अपने विरोधियों को करारा जबाव दिया। बिना घबराये गौरी मिश्रा जीवन में सफलता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं।


एक पन्ने पर नहीं होते संघर्ष के पल
किसी भी व्यक्ति की सफलता की कहानी एक पन्ने पर नहीं उकेरी जा सकती है। कदम-कदम पर संघर्ष को जिया और सहा जाता हैं। कुछ ऐसा ही संघर्ष गौरी मिश्रा की जिंदगी में रहा। बचपन में पढ़ाई से लेकर अपने मन के शौक को पूरा करने और संगीत सीखने की इच्छा शक्ति को अपने जीवन में उतारना हो। गौरी को बचपन से ही संगीत सीखना हारमोनियम बजाना, ढोलक बजाना और सा रे गा मा पा गाना बहुत पसंद था। बचपन से ही होनहार गौरी मिश्रा को इतनी लगन थी कि म्यूजिक क्लास की खिड़की से देखते देखते ही गौरी ने हारमोनियम बजाना, ढोलक बजाना और तबला बजाना सीख लिया।


गरीब बच्चों को मुफ्त में सिखाया संगीत
गौरी मिश्रा को संगीत सीखने की जितनी लगन थी। उतना ही संगीत को सिखाने की लगन थी। इसी के चलते गौरी ने गरीब बच्चों को एक साल तक संगीत की मुफ्त शिक्षा भी दी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से होने वाली आमदनी से गौरी मिश्रा गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च देती थी। उनको कपड़े देना और उनकी जरूरतों को पूरा करना गौरी की इंसानियत को दर्शाता है।
सांस्कृतिक एलबम में भी किया काम
कला और साहित्य में निपुण गौरी ने संघर्ष की शुरूआत में क्षेत्रीय एलबम में भी कार्य किया। गौरी की कई एलबम में बतौर कलाकार कार्य कर अपनी प्रतिभा को दिखाया। एलबम में भी गौरी की प्रस्तुतियों को सराहा गया। जिसने गौरी की प्रतिभा को निखारा और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

गौारी की जिंदगी में आया मुसीबतों का दौर
जिंदगी में हर सफल व्यक्ति की जिंदगी में मुसीबतों का दौर भी आता है। ऐसा ही कुछ गौरी की निजी जिंदगी में भी हुआ। एलबम में कार्य करने के दौरान गौरी की मुलाकात एक फिल्म डायरेक्टर धनपत नाम के व्यक्ति से हुई। धनपत लड़कियों को मूवी बनाने के सपने दिखा कर उनके साथ उनको अपने जाल में फंसाता था। गरीबी का फायदा उठाकर महिलाओं का शोषण करता था। गौरी इसी धनपत के जाल में फंस गई। लेकिन जल्द ही गौरी मिश्रा इस जालसाज धनपत के इरादों को भांप गई। किसी तरह गौरी ने धनपत से अपना पीछा छुड़ाया। गौरी मिश्रा तो सफलता की कहानी गढ़ने लगी। लेकिन धनपत ने गौरी मिश्रा को ब्लैकमेल करने का कार्य शुरू कर दिया। आए दिन सोशल मीडिया पर अनगर्ल टिप्पणी करने लगा। गौरी ने इस मुसीबत से भी पीछा छुड़ाया और मंजिल की ओर कदम बढ़ाये रखे। जिसका नतीजा ये रहा कि गौरी मिश्रा वर्तमान में भारत की एक ख्याति प्राप्त कवयित्री बन गई है।



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