सड़क दुर्घटना में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज का निधन




नवीन चौहान
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज का शुक्रवार की सुबह सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वे करीब 55 वर्ष के थे। प्रयागराज से हरिद्वार आते समय लखनऊ में यह हादसा हुआ। स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज के निधन का समाचार सुनते ही संत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। समाचार मिलते ही किसी को इस अनहोनी पर विश्वास ही नहीं हुआ।
विदित हो कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज करीब दो माह से प्रयागराज कुंभ में थे, जहां उन्हांेने अनेक सेवा के प्रकल्पों को किया। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज ने बचपन से घर का त्याग कर स्वामी जगन्नाथ महाराज की शरण ली और उन्हीं की सेवा में रहते हुए शिक्षा ग्रहण की और बाद में उन्हीं के शिष्य बनकर समाज व राष्ट्र सेवा में जीवन को समर्पित कर दिया। राम मंदिर निर्माण में भी उन्हों ने अपनी महती भूमिका का निर्वहन किया। बचपन में रामानंद सम्प्रदाय के संत बनने के बाद वे उदासीन बड़ा अखाड़ा पंचायती के महामण्डलेश्वर बने। इसके बाद वर्ष 2010 में बड़ा अखाड़ा उदासीन के कोठारी महंत राजेन्द्र दास महाराज ने मनमुटाव होने के कारण वे पुनः रामानंद सम्प्र दाय में आ गए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष श्री महंत ज्ञानदास महाराज के अनुरोध पर उन्हें जगद्गुरु रामानंदाचार्य की पदवी प्रदान की गई और स्वामी हंसदास से जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य महाराज हो गए। उनके अचानक निधन से संत समाज हतप्रभ है। संतो ने उनके अचानक अवसान को दुःखद और सनातन धर्म की बड़ी हानि बताते हुए उनकी आत्मशांति की प्रभु से कामना की। बाबा बलराम दास हठयोगी ने उनके निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए उनके निधन को संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया।



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