नवीन चौहान
उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी के रडार पर कई नामी कॉलेज के तमाम बड़े सफेदपोश आ गए है। ये सफेदपोश आजकल भाजपा सरकार में मंत्रियों के करीबी होने का दंभ भर रहे है। मंत्रियों के दरबार में अक्सर देखे जा सकते है। ऐसे में एसआईटी इन सभी सफेदपोशों पर पुख्ता सबूतों के आधार पर ही जल्द सलाखों की राह दिखलायेगी। हालांकि जेल जाने का डर इन तमाम लोगों को भी है। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाथ पैर पटक रहे है। लेकिन सरकार धन को ठिकाने लगाने के इनके तरीके ही इसको जेल की तरफ जाने का इशारा कर रहे है।
उत्तराखंड में करीब सात सौ करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला हुआ। एससी—एसटी जाति के गरीब छात्रों को उत्तराखंड सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि कोे निजी कॉलेज संचालक डकार गए। गरीब छात्रों के फर्जी तरीके से एडमिशन दर्शाए गए। इसके अलावा छात्रवृत्ति की राशि को हजम करने के लिए तमाम वो फार्मूले अपनाए, जिनसे अपनी जेब भर सकें। साल 2011 से लेकर साल 2016—17 तक यानि आधा दशक तक इन निजी कॉलेज संचालकों ने खूब आतंक मचाया। सरकारी धन का दुरप्रयोग किया। पैंसों की चकाचौंध में अंधे हो चुके इन कॉलेज संचालकों ने कानून की खूब धज्जियां उडाई। जिसका नतीजा ये रहा कि उत्तराखंड में करीब सात सौं करोड़ का फर्जीबाड़ा तस्दीक होना पाया गया। जिसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी गठित की गई। एसआईटी ने विश्वविद्यालय से कॉलेजों का रिकार्ड खंगाला तो एक के बाद घोटालों की फाइलों से धूल हटती चली गई। निजी कॉलेज संचालकों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर सरकारी धन की बंदरबांट की गई। एसआईटी प्रमुख मंजूनाथ टीसी के नेतृत्व में विवेचना कर रही टीम ने 12 निजी कॉलेज संचालकों को जेल की राह दिखलाई। जबकि एक समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को भी जेल भेजा। लोकसभा चुनाव के मददेनजर एसआईटी की विवेचना की रफ्तार थोड़ी सुस्त रही। लेकिन एक बार फिर एसआईटी ने स्पीड पकड़ ली है। एसआईटी सूत्रों से जानकारी मिली है कि हरिद्वार जनपद के करीब एक 120 निजी कॉलेज संचालकों के काले कारनामों का चिट्ठा एसआईटी ने जुटा लिया है। बस अब बारी—बारी से सभी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी चल रही है। भ्रष्टाचार में संलिप्त निजी कॉलेज संचालक भी सत्ताधारी नेताओं और मंत्रियों के इर्द—गिर्द खड़े होकर अपने मन से जेल जाने का डर दूर कर रहे है।