इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे: उत्तराचंल पीजी कॉलेज पथरी में धूमधाम से मनाया




सोनी चौहान
इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे पर हरिद्वार के पथरी स्थित उत्तराचंल पीजी कॉलेज में धूमधाम के साथ मनाया गया। कॉलेज की छात्राओं ने बालिकाओं की सुरक्षा के लिए जनजागरण किया। वही ग्रामीण क्षेत्रों में रैली निकालकर और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बालिकाओं की रक्षा और सुरक्षा का संकल्प कराया। बालिकाओं की प्रस्तुति को ग्रामीणों ने सराहा और गर्ल चाइल्ड डे के महत्व को भी समझा
भारत के पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं ने अपनी योग्यता और क्षमता से दम पर अपना बराबरी का दर्जा हासिल कर रहा है। समाज के किसी भी क्षेत्र में बेटियां बेटों से कमतर नहीं रही है। बेटियों को जहां भारत में देवी का दर्जा दिया जाता है। वही शिक्षा के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में भूणहत्या की संख्या आज भी हो रही है। भारत के ग्रामीण परिवेश मे आज भी इसी सोच के साथ बेटों की पर​वरिश की जाती है कि बेटा ही परिवार की नैय्या पार लगाता है। यदि बेटा नहीं तो परिवार अधूरा है। बेटा नहीं तो मां-बाप का बुढ़ापे में ख्याल कौन रखेगा। लेकिन इस घटिया सोच को अब समाज आइना दिखाने लगा है। बेटियां भी माता-पिता का बेटो से बेहतर ख्याल रख सकती हैं। इस बात को शहर की बेटियों ने साबित भी कर दिया है। यही वजह है कि दकियानूसी सोच से ऊपर उठकर लोग अब बेटियों की शिक्षा और परवरिश के प्रति सजग हैं। शहर में कई ऐसे परिवार हैं जिन्होंने बेटियों के आने से अपने परिवार को पूरा माना और बेटों की कमी को महसूस नही किया।

इनका कहना है कि बेटा ही क्यों बेटी भी परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकती हैं, बस हमें अपनी सोच बदलनी होगी। इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए हरिद्वार के पथरी स्थित उत्तरांचल पीजी कॉलेज के  डायरेक्टर विपिन कुमार ने छात्र—छात्राओं के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में एक जागरूकता रैली निकाली और नुक्कड़ नाटक के जरिए समाज को बेटियों के मान सम्मान के प्रति प्रेरित किया। इस दौरान कॉलेज  प्रशा​सनिक अधिकारी राकेश कुमार, नीलम गुसाई, मौसमी देवी, मौहम्मद सदीम हुसैन, आशु शामिल रहे।
नुक्कड़ नाटक करने वाली छात्राओं में सोनीली, दीपा, रेश्मा, काजल, रितु, अमन, संध्या, अर्पित, आकांक्षा और रश्मि रही।

क्यो मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
विश्व स्तर पर बालिका दिवस मनाने की पहल एक गैर-सरकारी संगठन ‘प्लान इंटरनेशनल’ प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस संगठन ने “क्योंकि में एक लड़की हूँ” नाम से एक अभियान शुरू कर समाज को प्रेरित किया। इस अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया। कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने 19 दिसंबर, 2011 को इस प्रस्ताव को पारित किया और इसके लिए 11 अक्टूबर का दिन चुना गया। इस प्रकार पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 11 अक्टूबर, 2012 को मनाया गया और उस समय इसका थीम था “बाल विवाह को समाप्त करना”.



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