भारत में दूसरे नंबर पर उत्तराखंड पुलिस, चोरी का माल बरामद करने में अव्वल




नवीन चौहान
उत्तराखंड पुलिस ने अपनी काबलियत में दिन—प्रतिदिन निखार लाया है। पुलिसकर्मियों के आचरण में सुधार हुआ है। तो मित्रता, सेवा और सुरक्षा का स्लोगन चरितार्थ होता दिखाई दिया है। लेकिन आज बात उत्तराखंड पुलिस की क्षमता की हो रही है। तो उत्तराखंड पुलिस साल 2017 के क्राइम इन इंडिया के राज्यवार आंकड़ों में बेहरतीन प्रदर्शन करने में कामयाब रही। उत्तराखंड पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने और चोरी गए सामान को बरामद करने में बड़ी फुर्ती दिखाई है। यही कारण रहा कि चोरी की घटनाओं का पर्दाफाश करने में मित्र पुलिस चौथे नंबर पर और चोरी का माल बरामद करने में देश में दूसरी पोशिजन पर आई है।
बताते चले कि एनसीआरबी ने वर्ष 2017 के क्राइम इन इंडिया राज्यवार अपराध आंकड़े जारी किये गये हैं। उक्त आंकड़े वर्ष 2017 में  पूरे देश में राज्यवार घटित भारतीय दण्ड संहिता से सम्बन्धित हैं। राज्यवार स्थिति में उत्तराखण्ड राज्यों में अपराध में न्यूनतम से चौथे स्थान पर है। वर्ष 2017 में कुल 12889 भारतीय दण्ड संहिता के अभियोग पंजीकृत किये गये, जो 119.3 अपराध प्रतिलाख जनसंख्या पर पंजीकृत हैं।
जबकि कुल चोरी/लूटी गयी सम्पत्ति का राष्ट्रीय औसत कुल 28.6 प्रतिशत है। जबकि इसी अवधि में उत्तराखण्ड राज्य द्वारा चोरी/लूटी गयी सम्पत्ति का कुल 52.7 प्रतिशत बरामद किया गया है। (कुल चोरी/लूटी गयी सम्पत्ति 15.5 करोड़ थी जबकि कुल बरामद की गयी सम्पत्ति 8.2 करोड़ है।) उक्त शीर्षक में उत्तराखण्ड राज्य सम्पत्ति बरामदगी में देशभर में दूसरे स्थान पर रहा जबकि पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश कुल बरामदगी 34.1 प्रतिशत के साथ 12वें स्थान पर रहा। वर्ष 2018 में Proffessional Policing को बढावा देते हुए 65 प्रतिशत की चोरी/लूटी गयी सम्पत्ति की बरामदगी की गयी है। मात्र तमिलनाडू राज्य ही उक्त शीर्षक में उत्तरखण्ड से आगे है।

  
उत्तराखंड राज्य में अपराध में वृ़द्ध को इंगित करते हुए कुल 28861 अभियोग घटित होने दिखाये गये हैं। जबकि वास्तविकता में वर्ष 2016 में भादवि के 10867 की तुलना में वर्ष 2017 में 12889 अभियोग ही पंजीकृत हैं, शेष 15972 अभियोग निरोधात्मक कार्यवाही से सम्बन्धित हैं। वर्ष 2017 में समय-समय पर कानून व्यवस्था व चुनावों के दृष्टिगत आपराधिक व असामाजिक तत्वों के विरूद्ध निरोधात्मक अभियान चलाये गये हैं जिसके दृष्टिगत 15972 अभियोग निरोधात्मक कार्यवाही (जैसे आबकारी अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, एनडीपीएस एक्ट, गुण्डा एक्ट आदि) के हैं न कि आपराधिक घटनाओं के है।
पुलिस की कार्यशैली को बदलने के पीछे सबसे बड़ा योगदान पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार का रहा है। जिन्होंने मित्र पुलिस की काबलियत को निखारने के लिए कई अभिनव प्रयोग किए। पुलिस के अपराध की प्रवृत्ति और बदमाशों को पकड़ने के लिए दिशा निर्देश दिए। उत्तराखंड पुलिस को आधुनिक तकनीक में निपुण कराया। जिसका नतीजा ये रहा कि एक छोटे से राज्य की सुरक्षा में तैनात रहने वाली उत्तराखंड पुलिस अपनी योग्यता के दम पर देश के शीर्ष राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही है।



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