हरिद्वार। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का धर्मनगरी के लोगों ने दिल से स्वागत किया। राष्ट्रपति के मुखाविंद से संबोधन को सुनने के लिये जनता ने भारी बारिश में कई घंटों तक प्रतीक्षा की। सिर से पैर तक बारिश में भीग चुके लोगों ने महामहिम राष्ट्रपति का अभिवादन किया। जनता के असीम प्रेम को देखकर महामहिम और उनके परिवार के सभी सदस्य बेहद प्रफुल्लित नजर आये। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी के प्रेम से अभिभूत हूं।
शनिवार 23 सितंबर का दिन हरिद्वार के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया है। भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हरिद्वार के चंडीघाट स्थित दिव्य प्रेम सेवा मिशन में पहुंचे। उनके आगमन से पूर्व ही हरिद्वार में सुबह सबेरे से ही भारी बारिश होने लगी। दिव्य प्रेम सेवा मिशन का पंडाल वाटर प्रूफ बनाया गया था। लेकिन निचले तल पर होने के कारण बारिश का पानी पूरे पंडाल की सतह पर आ गया। करीब एक फुट पानी आ गया। पंडाल में बैठे तमाम लोग पूरी तरह से भीग गये। महामहिम की एक झलक पाने के लिये बेहद प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दिये। जैसे ही महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिव्य प्रेम सेवा मिशन परिसर में पहुंचे जनता ने खड़े होकर अभिवादन किया। अभिवादन करने वालों में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के बच्चे, शहर के तमाम गणमान्य लोग, मीडियाकर्मी और भाजपा और समाजसेवी लोग शामिल थे।
महामहिम के भाई, पुत्र और पुत्री भी पहुंचे हरिद्वार
हरिद्वार। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ उनकी पत्नी सविता कोविंद , भाई रामेंद्र सिंह,रामस्वरूप, पुत्र प्रशांत और पुत्री स्वाति हरिद्वार आये। दिव्य प्रेम सेवा के कार्यक्रम में राष्ट्रपति और उनकी पत्नी मंच पर रही। जबकि परिवार के सभी लोग विशिष्ट अतिथि के तौर पर मंच के सामने की प्रथम पंक्ति में बैठे। न्यूज127 डॉट कॉम से बातचीत के बाद महामहिम राष्ट्रपति के भाई रामेंद्र सिंह ने सभी परिवार के लोगों के नामों की जानकारी दी।
सीएम त्रिवेंद्र ने आशीष के कार्यों को सराहा
हरिद्वार। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रपति महोदय के देवभूमि आगमन पर उत्तराखंड की जनता की ओर से मैं आपका स्वागत और अभिनंदन करता हूं। मां गंगा के तट पर आप उन बच्चों को प्यार और आशीर्वाद देने आये है जिनको कोई अपनाने को तैयार नहीं होता है। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के आशीष भय्या ने इन तमाम बच्चों को संभाला और इनको शिक्षा दीक्षा दी। आशीष जी के कारण इन बच्चों का सतत यात्रा जारी है। ये बच्चे भारत के भविष्य को संवारने का कार्य करेंगे।