निशंक के प्रयासों से हरिद्वार कुंभ अमूर्त विश्व धरोहर घोषित, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। भारतीय संस्कृति को यहां की मान्यताएं, लोक कलाएं और और अध्यात्म के कारण विश्व में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। संस्कृति के सतरंगे रंग में मेले महत्वपूर्ण हैं। देश में प्रतिदिन कोई ने कोई उत्सव होता ही रहता है। उत्सवों के इस देश में प्रति बारह वर्ष में आयोजित होने वाला कुंभ महापर्व सबसे बड़ा मेला व संस्कृति का अटूट संगम है। महाकुंभ पर्व देश के चार स्थानों हरिद्वार, इलाहाबाद, नासिक व उज्जैन में आयोजित होता है। जबकि प्रति छह वर्ष बाद हरिद्वार व इलाहाबाद में अर्द्धकुंभ मेले का भी आयोजन होता है। इन सबमें हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ मेला कुछ खास स्थान रखता है। यूनेस्को द्वारा अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किए जाने के बाद इसकी महत्ता और बढ़ गई है। यह न केवल हरिद्वार, उत्तराखण्ड के लिए गौरव का विषय है बल्कि देश के लिए भी गौरवान्वित करने वाला है।
वर्ष 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले को निर्विघ्न रूप से सम्पन्न कराने के बाद इसे कई देशों की संस्तुति के बाद यूनेस्को ने अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया है। इस सबके पीछे उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक का कुशल नेतृत्व कहा जाएगा। किसी भी कुंभ मेले में एक दिन में श्रद्धालुओं की 1 करोड़ 60 लाख की संख्या में आना और सकुशल मेला सम्पन्न कराना इतिहास में पहली बार देखने को मिला। इसकी पुष्टि नासा द्वारा सेटेलाईट से लिए चित्रों ने की। कुंभ महापर्व पर यह पहला ऐसा अवसर था जब मुख्य स्नान पर्व पर 1 करोड़ 60 लाख लोग पहुंचे हों और उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या न हुई हो। इस सफलता को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने कुंभ पर्व के लिए शांति का नोबल पुरस्कार दिए जाने की मांग की थी। श्री निशंक ने यह मांग स्वंय नहीं बल्कि विश्व के कई देशों से यूनेस्को को भेजे गए पत्र के बाद की थी।3

इन्होंने की थी नोबेल दिए जाने की संस्तुति

वर्ष 2010 के हरिद्वार कुंभ पर्व को सीमिति संसाधनों के बाद निर्विघ्न सम्पन्न कराने के कारण रिपब्लिक ऑफ साउथ अफ्रीका के मंत्री सिया बौंगा मायंगू, 31 जनवरी 2011 को यूगांडा के वाइस प्रसीडेंट प्रो. गिलबट बी बुकेन्या, तिब्बती संसद के डिप्टी स्पीकर डोलमा ग्यारे, किरन शुगर मिल लि. यूगांडा के मयूर एस माधवानी, इग्लैण्ड की चूम्स फॉड यूनिवर्सिटी के प्रो. एंजिला रस्किन, यूगांडा के व्यापार मत्रालय, इग्लैण्ड के डा. ल्यूमिनिया वैशू तथा भारत की एमिटी यूनिवर्सिटी ने नोबल प्राइज कमेटी नार्वे को पत्र भेजकर कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए उत्तराखण्ड सरकार को शांति का नोबल पुरस्कार दिए जाने की संस्तुति की थी।2
करोड़ों की भीड़ नियंत्रण का विश्व ने भी माना लोहा
उस समय हरिद्वार कुंभ मेले को निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए उठी इस मांग की आलोचना भी की गई, किन्तु कुंभ मेले में की गई प्रदेश सरकार की मेहनत रंग लाई और विगत दिनों यूनेस्को ने हरिद्वार कुंभ मेले को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित कर दिया। कुंभ मेले में इतनी बड़ी संख्या में भीड़ आने और उसे नियंत्रित करने का लोहा विदेशियों ने भी माना। यही कारण है कि अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भीड़ नियंत्रण पर शोध किए गए और उस शोध में आए सार को भीड़ नियंत्रण मैनेजमेंट कोर्स में भी शामिल किया गया। जो विश्व विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा बना हुआ है। यूनेस्को की इस घोषणा ने न केवल विश्व में श्रेष्ठ भारतीय संस्कृति का लोहा माना बल्कि हरिद्वार व उत्तराखण्ड समेत भारत का एक बार फिर से विश्व पटल पर मान बढ़ाया।



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