हरिद्वार का दिलचस्प चुनाव जब निर्दलीय ने कांग्रेसी दिग्गज को हराया




– 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी ने घोड़े पर घूम-घूमकर किया चुनाव प्रचार
गोपाल रावत
हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार अंतिम चरण में पहुंच चुका है। चुनावी माहौल में एक ऐसे दिलचस्प चुनाव का जिक्र करना जरूरी है जब एक निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस के बाहुवली प्रत्याशी को करारी शिकस्त दी थी। निर्दलीय प्रत्याशी घोड़े पर बैठकर हाथ में लाउडस्पीकर से प्रचार कर रहा था। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कार में सवार होकर चुनाव प्रचार करने निकलता था। ये चुनाव साल 1967 का था। हरिद्वार के इतिहास के पन्नों में दर्ज इस चुनाव की यादें हरिद्वारवासियों के जेहन में आज भी ताजा है। लेकिन साल 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद से अभी तक हरिद्वार संसदीय सीट पर कांग्रेस और भाजपा जैसे राजनैतिक दलों का कब्जा रहा है। लेकिन साल 1967 में कांग्रेस का वर्चस्व एक निर्दलीय ने तोड़ दिया था।
हरिद्वार संसदीय क्षेत्र का अस्तित्व 1971 की जनगणना के वजूद में आया। इससे पूर्व 1952,1957, 1962, 1967 तथा 1971 तक के चुनावों में इसे परवादन-देहरादून संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। जिसमें नजीबावाद, रूड़की, सहारनपुर तक का क्षेत्र शामिल था। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र सबसे रोचक मुकाबला 1967 में हुआ था। उस समय लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। केंद्र तथा राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन 1967 में परछावन-देहरादून वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा सीट पर निर्दलीय ने कांग्रेस प्रत्याशी को धूल चटा दी थी। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में किस्मत आजमा रहे ठाकुर यशपाल सिंह ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री महावीर त्यागी को 42320 मतों से पराजित किया था। उस दौरान महावीर त्यागी का नाम कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार था और पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनकी बहुत करीबी थी। 1967 के इस चुनाव में निर्दलीय यशपाल सिंह को एक लाख 59 हजार 662 मत मिले थे। जबकि महावीर त्यागी को एक लाख 17 हजार 342 मत ही मिल पाएं। इस चुनाव की सबसे खास बात ये रही कि इस चुनाव में धन बल के सामने जनबल भारी पड़ा। हालांकि उस समय ठाकुर यशपाल सिंह हरिद्वार के लिए एक अंजान चेहरा थे। लिहाजा उनके समर्थक भी गिनती के हुआ करते थे। लेकिन इन सबको दरकिनार करते हुए ठाकुर यशपाल सिंह अकेले ही चुनाव मैदान में डटे रहे।
ठाकुर यशपाल के प्रचार का तरीका
निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे ठाकुर यशपाल सिंह के प्रचार का तरीका बहुत ही अनोखा था। ठाकुर यशपाल सिंह शहरी क्षेत्रों में रिक्शा और देहात क्षेत्रों में घोड़े पर सवार होकर कंधे पर लाउडस्पीकर टांगकर चौराहों पर मजमा जोड़ लेते थे। जब उनका भाषण शुरू होता था तो लोगों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो जाती थी। उनकी भाषण कला इतनी गजब की थी कि जो उनका भाषण सुनता था वह उनका मुरीद हो जाता था। उस दौरान ठाकुर यशपाल की सादगी के चर्चे होते थे। जनता उनकी मधुर और आकर्षक वाणी की कायल थी। ग्रामीण क्षेत्रों में ठाकुर यशपाल सिंह घोड़े पर जाते और नुक्कड़ सभाएं करते थे। वही उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के कद्दावर नेता महावीर त्यागी पूरे लाव लश्कर के साथ चुनावी सभाओं को संबोधित करते थे। गाडि़यों के काफिले के साथ चुनावी क्षेत्र में महावर त्यागी पहुंचते थे। जहां सभाएं होती थी वहां पोस्टर बैनरों की भरमार होती थी। महावीर त्यागी ने तमाम चुनावी हथकंडे का इस्तेमाल किया। लेकिन जनता ने सादगी पसंद ठाकुर यशपाल सिंह को जीत दिलाकर लोकसभा भेजा। हालांकि इस चुनाव में कई रोचक घटनाएं भी हुई। लेकिन लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। ये चुनाव इस बात के लिए भी याद किए जाते रहेंगे। ठाकुर यशपाल सिंह की जीत हरिद्वार लोकसभा के लिए वो रिकार्ड है जो शायद ही कभी टूट पाएं।
1967 का विधानसभा चुनाव
साल 1967 के ही विधानसभा चुनाव में हरिद्वार की जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर महंत घनश्याम गिरि को मैदान में उतार दिया। ठाकुर यशपाल सिंह और महंत घनश्याम गिरि की जुबलबंदी खूब रंग लाई। इस चुनाव में हरिद्वार की जनता ने महंत घनश्याम गिरि को जबरन खड़ा किया। जबकि कांग्रेस ने ऋषिकेश के रहने वाले शांतिप्रपत्र शर्मा को ला खड़ा किया। हरिद्वार की जनता ने शांतिप्रपत्र शर्मा को बाहरी मानते हुए विरोध किया। इस चुनाव में शांतिप्रपत्र शर्मा को करारी हार का सामना करना पड़ा और महंत घनश्याम गिरि की जीत का अभूतपूर्व तरीके से स्वागत किया गया। शांति पसंद हरिद्वार की जनता इस चुनाव को कभी भूलना नही चाहेगी। ये चुनाव एक यादगार चुनाव रहा। जिसमें स्थानीय और सादगी पसंद प्रत्याशी जनता की पसंद बने।



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