जीरो टालरेंस की सरकार वाली पार्टी में पूंजीपतियों को प्राथमिकता, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार।

जीरो टालरेंस की सरकार वाली पार्टी का टिकट पाने की उम्मीद लगाने वाले कई जिताऊ प्रत्याशियों को निराशा हाथ लग सकती है। पार्टी के टिकट वितरण प्रणाली में धनबल वाले दावेदारों को प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को छोड़कर आलीशान एअर कंडीशन में बैठकर राजनीति करने वाले दावेदारों को पार्टी टिकट देने जा रही है। चर्चाओं में आया है कि शिवालिक नगर नगर पालिका सीट पर भी एक पूंजीपति का नाम सबसे ऊपर है। जबकि सालों से क्षेत्र में सक्रिय नेता अपनी दावेदारी में नाम पर चर्चा भी नहीं होने के कारण निराश हो चले है। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव जाग्रत होने लगा है।

विदित हो कि बुधवार को भाजपा के पार्षदों के लिए नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की थी। भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षक ज्योति प्रसाद गैरौला के समक्ष 438 दावेदारांे ने अपना दावा पेश किया। दावा पेश करने के साथ ही कुछ नेता तो ऐसे हैं जो स्वंय को पार्षद का प्रत्याशी मान चुके हैं। और सोशल मीडिया पर अपना प्रचार भी शुरू कर चुके हैं। किन्तु अधिकारिक तौर पर किसी के भी नाम की पुष्टि नहीं हुई है। दशहरे बाद प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया जाएगा। भाजपा के पर्यवेक्षकों ने दो माह पूर्व मेयर और नगर पालिका अध्यक्षों के दावेदारों की सूची जुटा ली थी। इन सूचियों के नामों पर काफी पहले से ही मंथन शुरू हो गया था। लेकिन चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद से अब परतें हटने लगी है। विश्वसनीय सूत्रों की यदि मानें तो मेयर, नगर पालिका अध्यक्ष का प्रत्याशी तय हो चुका है। पार्टी ने इस बार जिताऊ प्रत्याशी की अपेक्षा धन बल पर अधिक ध्यान दिया है। सूत्र बताते हैं कि शिवालिक नगर नगर पालिका के अध्यक्ष पद के टिकट के लिए एक करोड़ की ऑफर दी जा चुकी है और लगभग टिकट उसी व्यक्ति को मिलेगा जो इतनी बड़ी धनराशि देने में सक्षम हो। ऐसे में सवाल उठता है कि जीरो टालरेंस के दावे पर किस प्रकार अमल किया जा रहा है। जब नगर पालिका अध्यक्ष पद के टिकट की कीमत एक करोड़ लगाई जा चुकी है तो मेयर के टिकट की कीमत क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

सवाल उठता है कि चुनाव लड़कर समाज सेवा के दावे करने और दंभ भरने वाले नेतागण जो चुनाव में एक करोड़ टिकट पाने के लिए खर्च कर सकता है वह जनता की क्या सेवा करेगा। जीतने के बाद उसकी प्राथमिकता एक करोड़ पूरा करना और साथ ही चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपयों की भरपाई करना होगा। यह सब पैसा कहां से आएगा। साफ सी बात है कि जनता के कल्याण के लिए आने वाले धन से ही करोड़ों खर्च करने वाले नेता पहले अपनी पूर्ति करेंगे। ऐसे में क्षेत्र का क्या विकास होगा विचार किया जा सकता है। यह सवाल तो केवल नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए है। अब मेयर के टिकट की बात करें। जब नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए टिकट की बोली एक करोड़ पहुंच गई है तो मेयर पद की बोली कितनी होगी। कुल मिलाकर जीरो टालरेंस का दंभ भरने वाली सरकार में ऐसा खेल राजनैतिक दलों के दावों की पोल खोलता है। जिस प्रकार से भाजपा के टिकट वितरण के लिए खेल चल रहा है उसको देखते हुए भाजपा के लिए चुनावी वैतरणी पार पाना मुश्किल हो सकता है। कारण की अतिक्रमण और टूटी सड़कें इस बार भाजपा के लिए चुनावों में टेड़ी खीर साबित हो सकता है। उस पर टिकट वितरण में जिताऊ प्रत्याशियों की अपेक्षा धन बल को एहमियत देना और भी मुश्किलें पैदा कर सकता है। यदि चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद के हिसाब से ठीक नहीं रहता है तो इसका सीधा असर 2019 के होने वाले लोकसभा चुनावों में पड़ना तय है। और 2024 तक केन्द्र की सत्ता में बने रहने का ख्वाब देखने वाली भाजपा को 2019 में ही केन्द्र की सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है।



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