तीर्थनगरी में धूमधाम से मना गुरुपर्व, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव महाराज की जयंती तीर्थनगरी हरिद्वार में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाई गई। गुरु नानक जयंती सिख धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्री गुरु नानक जी का जन्मदिन मनाया जाता है। इसे गुरुपूरब या गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है गुरुओं का उत्सव।
गुरु पर्व की पूर्व संध्या पर ही तीर्थनगरी के सभी गुरुद्वारों को सजाया गया था। रात्रि में गुरुद्वारे विद्युत प्रकाश की रोशनी में जगमगाते नजर आए। गुरु पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे पहुंचकर माथा टेका।
तीर्थनगरी के है। कनखल सती घाट स्थित ऐतिहासिक गुरु अमरदास गुरुद्वारे तीजी पातशाही तप स्थान में महंत रंजय सिंह और बीबी विंनिन्दर कौर सोढ़ी के संयोजन में श्री गुरु नानक देव जी का 550 वां गुरु पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया।, ललिता रो पुल गुरुद्वारा, श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा श्री निर्मल संत पुरा, बीएचईएल सेक्टर 2 गुरुद्वारा और ज्वालापुर गुरुद्वारा में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अखंड पाठ हुआ। इसके साथ गुरुद्वारों में विशेष आयोजन हुए। प्रातः रागी जत्थों के शबद कीर्तन से उत्सव की शुरूआत हुई। इससे पूर्व प्रभात फेरी निकाली गई। शबद कीर्तन के पश्चात गुरु का अटूट लंगर बरता गया। बता दें कि गुरु नानक देव साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रतीक थे। गुरु नानक देव जी ने भारत से बगदाद तक आध्यात्मिकता, परमेश्वर के साथ एकता, और भक्ति के महत्व को फैलाया था। श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल,1469 में गाँव तलवंडी, शेइखुपुरा डिस्ट्रिक्ट में हुआ जो की लाहौर पाकिस्तान में स्थित है। उनके पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता त्रिपता ने उनका नाम नानक रखा। गुरु नानक देव ने ही इक ओंकार का नारा दिया। जिसका अर्थ है, ईश्वर एक है। वह सभी जगह मौजूद है। हम सबका पिता वही है, इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
सिख सम्प्रदाय के लिए हरिद्वार का विशेष महत्व है। भले की गुरुनानक देव महाराज ने तलवंडी नामक स्थान पर जन्म लिया, किन्तु हरिद्वार से उनका विशेष लगाव रहा। हरिद्वार में गुरु नानक देव महाराज ने लम्बे समय तक रहकर ज्ञान चर्चा की। गुरुनानक देव महाराज पहली प्रतिमा विष्णु घाट में स्थित नानकवाड़ा में, दूसरी प्रतिमा पाकिस्तान में गुरु नानक देव जी के जन्म स्थान में तथा तीसरी प्रतिमा इंग्लैंड में स्थित है।
जहां गुरुनानक देव महाराज की मूर्ति है। सिख सम्प्रदाय निगुर्ण उपासना का पंथ है। बावजूद इसके गुरुनानक देव महाराज की हरिद्वार के विष्णु घाट स्थित नानकबाड़े में संगमरमर की एक प्राचीन मूर्ति है। मान्यता है कि यहां गुरुनानक देव महाराज ने रात्रि विश्राम किया था। इसी कारण इसका नाम नानकबाड़ा पड़ा। गुरु नानक देव जी की प्रतिमा पूरे विश्व में तीन जगह पर स्थापित है। विष्णु घाट स्थित नानक वाड़ा उदासीन संप्रदाय के एक महंत जी के संचालन में है। गुरु नानक देव जी हरिद्वार आने के बाद चंडी घाट से होते हुए श्यामपुर कांगड़ी होते हुए कुमाऊं की तरफ रीठा साहिब और नानकमत्ता गए थे। सिख समुदाय के लोग लंबे अरसे से हरिद्वार में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की स्थापना की मांग करते आए हैं।



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