नवीन चौहान, हरिद्वार।
डीएम दीपक रावत की सजगता और मुस्तैदी ने हजारों जिंदगी को बचा लिया हैं। हरिद्वार के कनखल मिस्सरपुर गांव में पकड़ी गई शराब नकली थी। इस शराब को पीने के बाद हजारों लोग मौत के आगोष में समा सकते थे। सस्ती शराब पीने के चक्कर में लोग इस शराब को खरीद भी लेते। लेकिन नकली शराब बनाने वाले तस्करों की शराब को बाजार में पहुंचने से पहले की डीएम ने इस गोरखधंधे का परदाफाश कर दिया। इस खेल का मास्टर माइंड यूपी का रहने वाला है। जिसको दबोचने के लिये आबकारी विभाग की टीम पूरी मुस्तैदी के साथ जुटी है। जबकि नकली शराब की फैक्ट्री के प्लाट मालिक को आबकारी की टीम ने देर रात्रि गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कर लिया है।
हरिद्वार जिलाधिकारी दीपक रावत विभागीय कार्यो के साथ-साथ जनहित की सुरक्षा के लिये पूरी सक्रियता रखते हैं। डेंगू से निजात दिलाना, पॉलीथीन को पूरी तरह से बंद कराना हो या खनन माफियाओं पर शिकंजा कसना हो, सभी कार्य को बखूवी अंजाम देते है। लेकिन पिछले कुछ समय से डीएम ने शराब माफियाओं पर नकेल कसना शुरू किया। रविवार को छुट्टी होने के बावजूद जिलाधिकारी दीपक रावत ने मिस्सरपुर के भागीरथी विहार में नकली शराब की फैक्ट्री का भंडाफोड किया। इस फैक्ट्री के खेल से पर्दा उठाने के अभियान को डीएम ने पूरी तरह से गोपनीय रखा। छापेमारी की भनक खुद जगजीतपुर पुलिस चौकी के सिपाहियों तक को नहींे लगी। डीएम ने करीब एक घंटे तक मोबाइल की रोशनी में छापेमारी की और आसपड़ोस के लोगों से प्लाट मालिक की जानकारी जुटाई। पूरी जानकारी हासिल करने के बाद डीएम ने आबकारी विभाग की टीम को लक्सर के बादशाहपुर गांव में रवाना कर दिया। जहां से झोलाझाप चिकित्सक विजेंद्र कुरील को गिरफ्तार किया गया। आरोपी विजेंद्र ने आबकारी की टीम को कई चौंकाने वाले खुलासे किये है।
आरोपी विजेंद्र कुरील का खुलासा
आरोपी विजेंद्र ने आबकारी की टीम को बताया कि 18 अक्टूबर को ही नकली शराब की फैक्ट्री की स्थापना रात के अंधेरे में की गई थी। वह खुद साइलेंट पार्टनर था। जबकि शराब बनाने का कार्य यूपी का उसका पार्टनर करता था। स्पिट लाने और अन्य सामान वो ही लेकर आया था। शराब बनाने का कार्य मध्य रात्रि में किया जाता था। शराब की पहली खेप बाजार में उतारने की तैयारी थी।
कबाड़ी से खरीदे पुराने पव्वे
नकली शराब की फैक्ट्री संचालकों ने शराब भरने के लिये कबाड़ी से पुराने पव्वे दो रूपये के भाव खरीदे थे। इन पव्वों की हालत बहुत ही खराब थी। डीएम ने जब छापेमारी के दौरान इन पव्वों को देखा तो वह भी चकरा गये। आखिरकार इस जहर से हरिद्वार के नागरिकों की जान को खतरा बना हुआ था।