डीएम दीपक रावत से नाराज हरिद्वार की सैंकड़ों महिलाएं




नवीन चौहान
जिलाधिकारी दीपक रावत से हरिद्वार की सैंकड़ों महिलाएं और बच्चे नाराज हो गए हैं। इनकी नाराजगी की वजह कड़ाके की सर्दी में स्कूल खोले जाने को लेकर हैं। पहाड़ के जनपदों में स्कूल की छुट्टी होने के बाद हरिद्वार के बच्चे देर रात्रि तक डीएम दीपक रावत के संदेश और उनके द्वारा जारी मौसम के बुलेटिन का इंतजार करते रहे। जब स्कूल बच्चों को स्कूल जाना पड़ा तो उनको काफी निराशा हुई। बच्चों की माताएं भी काफी दुखी हुई।

बताते चले कि डीएम दीपक रावत हरिद्वार के बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है। हरिद्वार जनपद के पहले ऐसे जिलाधिकारी है। जिनका नाम हरिद्वार जनपद के तमाम स्कूली बच्चे जानते हैं। डीएम दीपक रावत अक्सर मौसम खराब होने की स्थिति और बारिश की संभावना को मददेनजर रखते हुए छुट्टी का संदेश एक वीडियो के माध्यम से प्रसारित करते है। जब उनका संदेश लोगों के मोबाइल के माध्यम से घरों तक पहुंचता है तो खुशियां मनाई जाती हैं। बच्चों की माताओं को भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जल्दी नहीं उठना पड़ता है। लेकिन बुधवार को ऐसा नहीं हुआ। जबकि पहाड़ के जनपदों में छुट्टी की घोषणा की गई। हरिद्वार जनपद में भी स्कूली बच्चों और उनकी माताओं ने हरिद्वार के स्कूल में छुट्टी होने की उम्मीद लगा ली। बुधवार रात्रि करीब दस बजे तक स्कूली बच्चों की माताएं डीएम दीपक रावत के संदेश का इंतजार करती रही। गुरूवार सुबह को भी सभी स्कूली बच्चों ने अपने अभिभावकों से डीएम दीपक रावत अंकल के मैसेज को मोबाइल में काफी खोजा। लेकिन मैसेज नहीं आया तो बच्चे कड़ाके की सर्दी में स्कूल जाने को विवश हो गए। आखिरकार हरिद्वार के बच्चे डीएम दीपक रावत ने प्यार जो करते है। तो ऐसे में उनका नाराज होना लाजिमी भी है। जिससे कोई प्यार करता है तो कुछ पाने की उम्मीद भी करता है। स्कूली बच्चों का डीएम से छुट्टी पाने का हक भी बनता ही है।वही कुछ बच्चों की माताओं ने जिलाधिकारी दीपक रावत को व्हाट्सअप पर मैसेज कर पहाड़ी जनपदों के छुट्टी के आदेश की प्रति तक भेजी। इसी खबर से आप अंदाजा लगा सकते है कि छुट्टी वाले अंकल के नाम से विख्यात जिलाधिकारी दीपक रावत को हरिद्वार की महिलाओं और बच्चों में कितने लोकप्रिय है। हालांकि ​डीएम दीपक रावत भी बच्चों के लिए स्कूल की छुट्टी करने का कोई मौका नहीं गवाते है। लेकिन इस बार मौसम की परिस्थिति को भांपने में जिलाधिकारी चूक गए और बच्चों की उम्मीद पर पानी फिर गया।



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