तिरपाल की छत के नीचे मुसीबतों का पहाड़, डीएम सी रविशंकर की आंखे नम




नवीन चौहान

डीएम सी रविशंकर लालढांग क्षेत्र का सर्वागीण विकास करने और ग्रामीणों की तमाम समस्याओं को दूर करने की कवायद में जुटे हुए है। वह क्षेत्र के युवाओं को रोजगार और जरूरतमंदों को सरकारी योजनाओं का हरसंभव लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहे है। इसी के चलते डीएम ने 5 अगस्त 2020 को लालढांग क्षेत्र का दूसरी बार दौरा किया। करीब छह घंटे तक वह ग्रामीणों के बीच में रहे, ग्रामीणों के घरों के भीतर जाकर उनकी स्थिति को नजदीक से देखा और महसूस किया। डीएम ने देखा कि तिरपाल की छत के नीचे समस्याओं का पहाड़ है। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही भी उजागर हुई। विकास योजनाओं के पैंसों में बंदरबांट हुआ है। ग्रामीणों ने प्रधान और ग्राम पंचायत से जुड़े अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल खोल कर रख दी।
कोरोना संक्रमण काल की तमाम व्यस्तताओं के बाबजूद जिलाधिकारी सी रविशंकर ने हरिद्वार जनपद का विकास करने का मन बना लिया है। इसी के चलते उन्होंने सबसे पहली शुरूआत लालढांग क्षेत्र से की। करीब एक माह पूर्व उन्होंने लालढांग में ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनने के बाद सरकार आपके द्वार मिशन को ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर लिया। प्रशासनिक अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए और ग्रामीणों के तहसील संबंधी जरूरी दस्तावेज उनके घर पर ही पहुंचाने के आदेश दिए। करीब दो माह में इस लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प किया। खुद अपने ही कार्य की समीक्षा करने जिलाधिकारी सी रविशंकर एक बार फिर लालढांग पहुंचे। 5 अगस्त को ज़िलाधिकारी सी रविशंकर 1:00 बजे ग्राम रसूलपुर मीटीबेरी गांव का निरीक्षण करने पहुंचे। जहां उन्होंने जनजाति तोक रसूलपुर बड़ा में लोगों की परेशानियों को नज़दीकी से समझा। लोगों ने बड़ी आस भरी आँखों से पहले पूछा के यह साहब कौन हैं। ग्रामीणों को पता चला कि यह बड़े साहब जिला अधिकारी है। जो स्वयं उनके घर आकर, उनकी समस्याओं का ब्यौरा ले रहे हैं तो लोगों की आंखों में आंसू छलक गए। लोगों ने हाथ जोड़ कर भीगी पलकों से अपनी अनेकों समस्या बताई। टूटी हुई छत से पानी टपक रहा था और छोटे— छोटे बच्चों के साथ महिलाएँ घर की दशा दिखाते हुए विनती करने लगी कि साहब हमारा मकान नहीं आया। कुछ बुजुर्ग लोग अपनी घर की छत जो गिर चुकी है उसको दिखाते हुए बोले साहब हम मरते— मरते बच गए पर हमें ग्राम प्रधान ने कोई राहत नहीं दी। कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके प्लास्टिक के तिरपाल के घर दिखा। ग्रामीणों ने ज़िलाधिकारी से पूछा की साहब हमारा मकान आज तक नही मिला। कई पुश्तें बीत गयीं नहीं आया और ग्राम प्रधान ने हमें बीपीएल कार्ड देने से भी इनकार कर दिया। मौक़े पर सड़कों पर बहती नाली और टूटी हुई सड़कें देखकर ज़िलाधिकारी सी रविशंकर ने ग्राम विकास अधिकारी ज़िला विकास अधिकारी और पंचायत सेक्रेटेरी को फटकार लगाई और पूछा की इस स्थिति का कारण क्या है । प्रशासनिक अधिकारियों के पास कोई जबाब नही था। संवेदनशील डीएम सी रविशंकर बेहद भावुक हो गए। ग्रामीणों की आंखों में उम्मीद की किरण दिखाई दे रही थी। जिलाधिकारी के प्रति उनकी आस्था बढ़ रही थी। लेकिन डीएम को गैर जिम्मेदार अधिकारियों से ग्रामीणों की समस्याओं को दूर करने की चुनौती मिल रही थी।



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