नवीन चौहान, हरिद्वार। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान शिव की ससुराल कहे जाने वाली उप कनखल के सूरतगिरि बंगला श्री गिरिशानंद आश्रम में देव दीपावली उल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर हजारों की संख्या में दीपदान कर देश में सुख-समृद्धि की कामना की।
सूरतगिरि बंगला के एकादश पीठीधीश्वर म.म. स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के सानिध्य में आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत गणेश व मां गंगा के पूजन के साथ हुई।
इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने आशीर्वचन देते हुए म.म. स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहा कि वर्ष के 12 मासों मे कार्तिक मास को श्रेष्ठ मास कहा गया है। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन भगवान ने तारक नामक राक्षक का वध कर संसार को उसके आतंक के अधंकार से निजात दिलाई थी। कहा कि आज के दिन चन्द्रमा की चांदनी से गिरने वाला प्रकाश आरोग्य का कारक होता है। कहाकि इस दिन दान-पुण्य आदि कर्म करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। कहाकि जहां आज के दिन किया गया पुण्य कर्म अक्षय फल प्रदान करता है वहीं आज के दिन किए पाप कर्मों का क्षय नहीं होता। उन्होंने कहाकि गंगा तट पर देव दीपावली मनाने और गंगा पूजन का महत्व तभी है जब हम सभी गंगा रक्षा का प्रण लें। कहाकि गंगा पृथ्वी पर साक्षात जीवन है। गंगा हमारी संस्कृति का प्राण है। गंगा के बिना जीवन की कल्पना और संस्कृति की अक्षुण्णता की कल्पना करना भी बेमानी है। इस अवसर पर आश्रम के सभी गंगा घाटों पर 2100 दीप जलाकर देव दीपावली मनाई गई। 2100 दीपों के प्रकाश से गंगा के घाट जगमगा उठे। इस अवसर पर स्वामी विश्वरूपानंद, स्वामी उमानंद, स्वामी कमलानंद, स्वामी गविन्द्रानंद, स्वामी सत स्वरूपानंद समेत आश्रम के विद्यार्थी और श्रद्धालु उपस्थित थे। सभी ने दीपदान के पश्चात गंगा रक्षा का संकल्प लिया।