DAV के वैदिक चेतना सम्मेलन में मातृमान, पितृमान और आचार्यमान का मंत्र, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। DAV centenary public school haridwar में आयोजित वैदिक चेतना सम्मेलन में स्कूल प्रांगण वेदों की ऋचाओं से गुंजायमान हो गया। स्कूल के नन्ने मुन्ने बच्चों ने वेदों ऋचाओं को अपने स्वंर में पाठ किया। संगीत की धुनों पर योग और वेद की शानदार प्रस्तुतियां देकर उपस्थितजनों का मन मोह लिया। वेदों के मर्मज्ञ गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति महावीर अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में वेदों के ज्ञान पर प्रकाश डाला। अभिभावकों और गुरूजनों को वेदों की महत्वपूर्ण जानकारी दी।
आर्य समाज की प्रमुख संस्था डीएवी स्कूल की स्थापना अमर हुतात्मा स्वामी हंसराज जी ने की थी। उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों में बच्चों को श्रेष्ठ नागरिक बनाने के लिये वेदों के ज्ञान के साथ-साथ अंग्रेजी शिक्षा पद्धति के समावेश करते हुये डीएवी स्कूलों में पठन पठान का कार्य शुरू कराया।

स्वामी हंसराज के बताये मार्ग पर चलते हुये डीएवी संस्था के आह्वान पर हरिद्वार डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल प्रतिवर्ष वैदिक चेतना सम्मेलन का आयोजन कर स्कूली बच्चों और अभिभावकों को वेदों के ज्ञान से अभिभूत कराता है।

30 अक्टूबर को सांयकाल में डीएवी जगजीतपुर के प्रांगण में मुख्य अतिथि महावीर अग्रवाल व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित व एलएमसी मैंबर्स हेमवती नंदन और कुलभूषण सक्सेना,दिनेश चंद्र शास्त्री ने वैदिक मंत्रोचार के साथ दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर पूर्व प्रोफेसर महावीर अग्रवाल ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिये सबसे बड़ा खजाना उसकी संतान होती है। स्वामी श्रद्धानंद ने अपने ग्रंथ में सत्यार्थ प्रकाश में लिखा है कि संतान को श्रेष्ठ बनाना है तो तीन तत्वों का होगा बहुत जरूरी हैं। मातृमान, पितृमान और आचार्यमान।

उन्होंने मातृमान के बारे में बताया कि माता को अपने बच्चे को अच्छा बनाना है तो सबसे पहले माता को अपने चरित्र को श्रेष्ठ बनाना होगा। उसी तरह पितृमान के बारे में बताया कि श्रेष्ठ पिता सभी दुर्व्यसनों से दूर रहने वाला ही पिता अपने बच्चे को श्रेष्ठ बना सकता है। वही आचार्यमान के बारे में बताया कि गुरूजनों को बच्चों के सामने आचरण पेश करना होगा। संसार के जीवन की पांच सीढि़यों व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व है। कहा कि वर्तमान में सभी प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं, किन्तु आंतरिक प्रदूषण की ओर किसी का ध्यान नहीं है। यदि आंतरिक प्रदूषण को दूर कर दिया जाए तो विश्व श्रेष्ठ बन जाएगा। कहा कि जहां निर्मलता है वहीं सुंदरता और श्रेष्ठता है।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन व डीएवी गीत के साथ हुआ। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित ने मुख्य अतिथि प्रो. महावीर अग्रवाल का स्वागत किया। विद्यार्थियों ने स्वागत किया व समूह नृत्य के साथ सभी का मन मोहा। कक्षा तीन के विद्याथियों ने समूह गान किया तो कक्षा 2 के विद्यार्थियों ने वेदों की ऋचाओं का गायन किया। श्रीमती अर्चना तलेगांवकर ने भजन प्रस्तुत कर सभी की वाहवाही लूटी। इसके अतिरिक्ज विद्यार्थियों ने समूहगान ख् गजल व स्वामी दयानंद के चरित्र पर आधारित नाटिका का मंचन किया



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