नवीन चौहान
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद बंशीधर भगत ने अपनी कार्यकारिणी को गठित करते हुए पहली बॉल में हरिद्वार को क्लीन बोल्डकर दिया। हरिद्वार के किसी भी भाजपा नेता को संगठन में अहम जिम्मेदारी नही दी गई। इसको लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर हरिद्वार के नेताओं को लेकर कमेंटस आने शुरू हो गए। आखिरकार साल 2022 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के लिए मैदान में उतरे भाजपा संगठन से हरिद्वार के नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी से दूर क्यो किया गया। हालांकि एक दिन पूर्व ही हरिद्वार में भाजपा के प्रदेश के सभी मंडल अध्यक्षों का प्रशिक्षण शिविर संपन्न हुआ था। जिसमें खुद प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत और प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रतिभाग किया था। जिसके बाद संगठन के पदाधिकारियों को दायित्व दिए गए है।
साल 2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है। साल 2017 के चुनावों के प्रदर्शन को भाजपा दोहरा पाए ऐसी उम्मीद बेहद कम दिख रही है। भाजपा के प्रति जनता में निराशा का भाव है। भाजपा सरकार जनता की कसौटी पर खरी उतरती दिखाई नही पड़ी। उत्तराखंड में बेरोजगारी चरम पर पहुंच रही है। सड़कों की हालत खस्ता है। विकास योजनाओं की रफ्तार बेहद धीमी गति से चल रही है। पलायन जस का तस जारी है। लेकिन भाजपा के लिए सबसे फायदे की बात ये है प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस मुददों को भुनाने मेें नाकामयाब रहा है। कांग्रेस आपसी खेमेबाजी की लड़ाई में व्यस्त है। कांग्रेस जनता के भरोसे को जीत पाए ऐसी उम्मीद भी कम ही दिख रही है। ऐसी स्थिति में जनता के पास भाजपा के अलावा कोई दूसरा विकल्प नही दिखता है। लेकिन जिस उत्साह से साल 2017 में डबल इंजन की सरकार बनाने का जनता ने संकल्प किया था ऐसा माहौल 2022 में नही बन पायेगा। अगर केजरीवाल का बिजली पानी के मुफ्त का फार्मूला उत्तराखंड में चला तो भाजपा सरकार की विदाई तय है। इन तमाम चुनौतियों के बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने अपनी जंबो कार्यकारिणी गठित की है। इस कार्यकारिणी में हरिद्वार से किसी नेता को जगह नही मिली है। सिर्फ रूड़की के एक नेता राकेश गिरि को प्रदेश ओबीसी मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में हरिद्वार के नेताओं की संगठन से दूरी कार्यककर्ताओं में निराशा का भाव उत्पन्न कर सकती है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने सरकार और संगठन के तमाम पदाधिकारियों से मंत्रणा करने के बाद सूची जारी की है। हो सकता है कि नई कार्यकारिणी भाजपा के पुराने प्रदर्शन को दोहरा पाए। फिलहाल भाजपा को अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को बरकरार रखने की जरूरत है। कार्यकर्ताओं का विश्वास ही पार्टी को मजबूत कर पायेगा और सत्ता तक पहुंचा सकता है।